मित्रों और सहेलियों, दिन पर दिन समस्याएँ बढती ही जा रही हैं। हमारे देश के साथ मोदी जी बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। मोदी जी के भक्तों को तो वैसे ही उनके कार्यों में कभी कोई चूक नहीं दिखती। ऊपर से सारे कांग्रेसी भी यों चुप कर के बैठे हैं जैसे इन्हें कोई साँप सूंघ गया हो। इससे ही साबित होता है साथियों कि कांग्रेस और बीजेपी मिले हुए हैं और ये सब के सब अदानी और अम्बानी के एजेंट हैं। आप पूछेंगे कि हम किस अन्याय की बात कर रहे हैं, तो सविस्तार सुनिए ये सनसनीखेज़ खुलासा जो खास लोगों नहीं दिखा, केवल हम 'आम' आपियों को हमारे युगपुरुष जी की दिव्य कृपा से समझ में आया।
साथियों, जब से मोदी जी ने जाल किले से १५ अगस्त को देश को संबोधित किया है, वो स्वच्छता अभियान के पीछे पड़ गए हैं। ये तो अच्छी बात है, पर ये क्या बात हुई कि वो स्वयं झाड़ू लगाने निकल पड़े। साथियों, झाड़ू तो आम लोग प्रयोग करते हैं। मोदी जी आम नहीं हैं, उनके पास और भी तो कई दुसरे उपकरणों के विकल्प थे। वो वैक्यूम क्लीनर भी तो प्रयोग कर सकते थे। पर नहीं! उनको तो हम 'आम' लोगों की आम पार्टी का चुनाव चिन्ह हथियाना था ना! साथियों, यदि इन संघी-भाजपाइयों ने झाड़ू को हथिया लिया तो हम आपिये कहाँ जायेंगे?
आप को कदाचित स्मरण होगा ही कि मोदी जी ने अमरीका में स्वयं को छोटे काम करने वाला छोटा आदमी कहा। साथियों, ये तो घोर अन्याय हुआ! ये तो हमारे युगपुरुष जी का सिग्नेचर-ट्रेडमार्क डायलाग है! इसपर तो हम आपियों का कॉपीराइट है। मोदी जी ने इसे भी चुरा लिया। इन दोनो ही बातों से ये साबित हो जाता है कि ये इन संघी-भाजपाइयों की चाल है। ये हमारे युगपुरुष जी की आम पार्टी की आम सी दुकान बंद करवाना चाहते हैं। साथियों, हम सारे आपिये पूरे के पूरे आम आदमी हैं, और हममे से भी सबसे अधिक आम हमारे युगपुरुष जी हैं। क्या एक आम आदमी पर अन्याय पूरे देश पर अन्याय नहीं है? बोलिए।
साथियों, ये षडयंत्र यहीं समाप्त नहीं होता। यदि आपने इन संघी-भाजपाइयों के स्वच्छता अभियान के विडियो तथा फोटो देखे होंगे तो पाया होगा कि इन सभी ने कोई आम झाड़ू नहीं पकड़ा, अपितु लम्बे लम्बे डंडों वाले झाड़ू से स्वच्छता अभियान का नाटक किया। क्या जतलाना चाहते थे ये? आखिर आ गए ना अपने असली कम्युनल गुंडे वाले रूप में! साथियों ये इनका तरीका है ये कहने का कि जो इनकी बात नहीं मानेगा वो इसी डंडे से पेल दिया जायेगा।
एक और बात साथियों, एक और बात से ये सपष्ट हो जाता है कि इस पूरे अभियान के पीछे इनका कोई कम्युनल एजेंडा है। यदि ऐसा ना होता तो क्यों इसका नाम 'स्वच्छ भारत' रखा और 'साफ़-हिन्दोस्तान' या 'साफ़-इंडिया' या 'क्लीन-इंडिया' नहीं रखा? साथियों, यही तो स्कैम है! इसके लिए ही तो हम लड़ रहे हैं!
इन्जुलाब झींगा-बाद, चंदे मातरम।
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