मेरे प्रिय अनुज सुमित सुमन का इस ब्लॉग पर अतिथि-लेख -
चूँकि, दीपावली का समय चल रहा है और ई जो है एगो प्रकाश-परब है, अतः सेक्यूलरापा पर प्रकाश तो डालेंगे ही, इसमें तो तुम लोग कोई डाउब्ट (doubt) मत रखना! पहले सोचे थे कि प्रकाश के साथे-साथ बम-फटक्का भी फोड़ दें इस सेक्यूलरापा पर, तो बढिया दीपावली का फील आ जाये। पर क्या है ना कि बम-फटक्कों से प्रदूषण हो जाता है; हलांकि असल बतवा तो ई है कि हम खुद्दे सेक्यूलरापा-पीडित हैं। वैसे प्रदूषण तो पादने से भी होता है, पर क्या है कि सलमान खान बोलिश था कि, "बदन में हेतना छेदवा कर देवेंगे कि कन्फूज हो जावोगे कि सांसन कहाँ से लेवें और पादन कहाँ से करें"! अर्थात, ई जो पाद-प्रदूषण है, कन्फूजिया जाने के चलते ओतना बड़का खतरा नै है!
अभी हमरे सम्मुख जो सबसे बेसी बड़का खतरा है, ऊ है बम-फटक्का के रूप में। और खाली इहे काहे, पूरे-का-पूरे दीपावली का परब ही खतरा का घंटी ही नहीं, घंटाल है। दीपावली में सब्भे ठो घर में बहुत्ते लाइट-बल्ब जलता है, जिससे बिजली का खर्चा (रेड लाइट एरिया वाली बिजली नै समझ लेना बे ) भी बहुत्ते बढ़ जाता है। भारत को एक्के दीपावली में एतना बिजली का नुकसान हो जाता है जेतना कि हर सेक्यूलर घर में साल भर तक बल्ब-पंखा चालू छोड़कर बर्बादी करने से भी नहीं होता। अब तुम्ही बताओ, इतना बिजली जो बर्बाद हुआ, के देगा? हम देंगे अप्पन पौकिट से? मर्दे, हम तो खुद्दे "सेक्यूलर का गर्दभ-छिद्र" हैं, रोज टोक्का फंसा के बिजली चोराते हैं। कहाँ से देंगे हम ई बर्बादी का भरपाई? तुम्हीं लोग ना दिपावली में बिजली बचायेगा, तो आगे हम सेक्यूलर लोगों को चोराने का और मौका मिलेगा! ई तो हुआ बिजली का बात! इसके अलाबा, गाँव-देहात में जहाँ आज तक 'राजीव गाँधी विद्युतिकरण योजना' का लाभ नहीं मिला है, वहाँ लोग आज भी लालटेन, ढिबरी और दीया जलाते हैं; दीया मिर्जा नहीं बे... उसको तो अब कोई औरे जलायेगा। ई सब में तेल का बर्बादी होता है। हम सेक्यूलर लोग भी तो साल भर पेट्रोल का बेमतलब खपत किया करते हैं। पेट्रोल भराते समय गाड़ी बंद नहीं करते, जाम लगने पर भी अपना चर-चकिया चालुए रखते हैं, पेट्रोल-टंकी से सरकारी कीमत में खरीदकर जरूरतमंदों को मनमाने रेट पर बेचते हैं। पर इसमें कोई हानि नहीं होता! उल्टे हम सेक्यूलर लोग तेल का बर्बादी करते हैं, तो तेल का कमी हो जाता है जिससे तेल का कीमत बढ़ रहा है। हम लोग जो पेट्रोल-डीजल का इतना खपत बढा दिये हैं, तो सरकार को फायदे हुआ है। नुकसान कहाँ है? पर तुम दीपावली मनाने वाला लोग, देश को एक दिन डुबा देगा।
प्रदूषण का बात हटाओ अभी, क्या तुम दीपावली मनाने वाला चूतियन लोगों को पता है कि हर साल केतना लोग दीवाली के दिन बम-फटक्का का खाली आवाजे सुन के मर जाता है? जयललिता के जेल जाने पर भी तो कमजोर दिल के लोग मरते हैं, सचिन आउट हो जायें तो भी मरते हैं, भारत के पाकिस्तान से हार जाने पर भी तो मरते हैं ऐसे लोग, फिल्मों में तो बेटी के भाग जाने की बात सुनकर भी बाप का हार्ट-फेल हो जाता है, मुकेश हराने को देख लो; गुटखा खा कर मर गया... पर दीवाली के बम-फटक्का का आवाज सुन के मर जायें, क्या ई शोभा देता है! नहीं, कदापि नहीं! और वैसे भी शोभा देता नहीं, 'देती' है।
औचित का है दीवाली में बम-फटक्का फोड़ने का! मने ई का बात हुआ कि राम-लक्षमण विद सीताजी अयोध्या आए तो आप बम मार देंगे... और बोलेंगे कि भिया, खुशी से मारे हैं! मने कसाब-अफजल-टुंडा-भटकल हो का! आऊर जे एक-दुई बम लग जाता ऊ देवतन लोग को तो! जे उनकी साड़िए में आगिन पकड़ लेता तो! जे उनके धनुष की डोरिये जल जाता तो! जे हनुमान जी की पुँछड़िये दोबारा से जल जाता तो! अयोध्या-दहन नहीं कर देते ऊ! के समझाएगा तुम लोग को कि धोती-साड़ी पहिने वाला लोग के आस-पास बम-फटक्का नै मारा करो!
सुतली बम, फुलझड़ी, अनार, चकरी, रौकेट, सात आवाज, हाइड्रो बम, बुल्लेट बम, ई बम, ऊ बम! का है ई? और ई कौन नाम हुआ, 'हाइड्रो' बम! ऐसा लगता है मानो मेरे नीचे वाले दुन्नो छोटका वाला बम के बारे में बतिया रहा है! अब तो मोदी बम, राहुल फुलझड़ी, केजरी रौकेट, गडकरी सात आवाज सब भी आने लगा है। तुम लोग का बस चले तो तुम लोग गाँधी बम, नेहरू अनार, इंदिरा बम भी बना दो!
अब आओ प्रदूषण पर। तुम थेत्थर लोग को कईसे समझायें कि बम-फटक्का से पर्यावरण बहुत्ते प्रदूषित हो जाता है। हम लोग भी तो प्रदूषण फैलाते हैं, इको-फ्रेंडली प्रदूषण! मूली के परांठे खा के गैस छोड़ देते हैं... पाद-प्रदूषण... जैविक है... पर्यावरण को कोई हानि नहीं, पहले भी बताये हैं। लोटा लेके खेत में फिर आते हैं... ई भी जैविक है... मिट्टी उपजाऊ बनाता है... कोई प्रदूषण नहीं। रोज लाउडस्पीकर पर दिन में पांच दफे चिल्लाते हैं, कोई प्रदूषण नहीं। एक-एक को जोड़ने बैठेंगे तो मूत दोगे तुम लोग! तुम लोग से बेसी प्रदूषण फैलाते हैं बे, फिर भी पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुँचने देते! बड़ा आया दीपावली मनाने वाला! जे अबरी दफे, एक्को बम-फटक्का का आबाज सुन लिये तो छेद में गर्दभ पेल देवेंगे बताय रहे हैं हम... हाँ!!!
- © सुमित सुमन
धन्यवाद आशु भिया, मेरे निकृष्ट से आलेख को अपने उत्कृष्ट ब्लॉग में जगह प्रदान करने के लिये...:)
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