आजकल जहाँ देखो वहाँ लोग 'कन्या बचाओ' और 'बलात्कार रोको' के झंडे ले कर खड़े हैं। सही है, समाज को इसकी अत्यंत आवश्यकता है… पर कुतर्क क्यों करते हो ? नहीं मतलब, हर लड़का अब बलात्कारी हो गया? भूल गए उन भाईयों को जो अपनी बहन की लाज बचाने स्वयं मर गए ? भूल गए रमेश जाधव जैसे असंख्य पुरुषों को जिन्होंने अनजान लड़कियों की इज़्ज़त बचाने के लिए अपनी जान गंवा दी? भूल गए उन चूतिये लड़कों को जिन्होंने दिल्ली में दामिनी कांड के पश्चात प्रदर्शन में पुलिस के डंडे खाए थे? भूल गए उस लौंडे को जो दामिनी को बचाने के चक्कर में मार खा-खा कर स्वयं अधमरा हो गया था? क्या बलात्कार केवल पुरुष करते हैं और क्या बलात्कार केवल स्त्री का होता है? क्या कभी झूठे बलात्कारों के केस में कितने लड़के एम्पॉवर्ड नारियों द्वारा फसाए गए हैं इसका आंकड़ा ढूंढा है? गूगल है, ढूँढिये। आँखें फटी की फटी रह जायेंगीं। दहेज़ प्रताड़ना के झूठे मुकदमों के बारे में भी लगे हाथों गूगल में ताँका-झाकी कर लेना। मेरी करबद्ध प्रार्थना है ऐसे कुतर्की लोगों से कि कृपया एक बलात्कारी आप भी कम कर देना, जब आप दो से तीन होना चाहो तब गर्भ का लिंग परीक्षण अवश्य करवा लेना और यदि वह बालक हो तो कृपया गर्भपात करवा लेना। क्यों किसी प्राणी को ऐसे जगत में लाया जाए जहाँ उसे पग-पग पर बचपन से ही बिना कारण अपराधी होने का बोध करवाया जाये? क्यों किसी को ऐसे संसार में लाया जाए जहाँ सदा उसे उसका 'पौरुष' सिद्ध करने के लिए बाध्य होना पड़े? क्यों किसी आत्मा को ऐसे लिंग में रूप धरने की सुविधा दी जाये जिसमे उसे भावनाओं को सदैव ह्रदय की कोठरी में बंदी बनाये रखना पड़े?
"अपनी बेटियों को बलात्कार से बचना सीखने की बजाय अपने बेटों को सिखाएं कि बलात्कार ना करे" - शत प्रति शत सही बात है। पर काश इसके साथ लोग यह भी जोड़ते कि आप अपनी बेटियों को भी सिखाएं कि लड़कों का नाजायज़ फायदा ना उठाएं, और कृपा कर बलात्कार का झूठा केस ना दर्ज करवाएं। पर नहीं, अधिकतर लोगों के लिए सारी रिपोर्ट्स सत्य ही होती हैं।आपका काम आसान कर देता हूँ - आंकड़े ये हैं कि केवल दिल्ली में ५३% बलात्कार के दर्ज मामले झूठे निकले। यह रहा लिंक : link
इस पुण्यभूमि भारत के लिए शुभ सन्देश यह है कि हर ९ मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या कर रहा है... मतलब हर ९ मिनट में एक 'बलात्कारी' कम हो रहा है। लाओ भाई, ढोल नगाड़े लाओ, शहनाई बजाओ अर्रर्र ना ना मॉडर्न ज़माना है... डी जे बुलाओ और धाकड़-धिन्ना नाचो... सारे फेमिनिस्टों को बुलाओ और कहो कि वे नंगे हो कर नाचें... ईश्वर ने चाहा तो शीघ्र ही सारे बलात्कारियों की जनसंख्या बहुत कम हो जाएगी। फिर सारी लौंडियाँ जो चाहे पहन कर (अथवा ना पहन कर) स्वच्छंद होकर घूम-फिर सकेंगीं। कोई रोक-टोक नहीं ! प्रभु करे किसी फेमिनिस्ट के घर कोई 'बलात्कारी' जन्म ना ले। जग में केवल नारिजाति का वर्चस्व हो, पितृसत्ता को उखाड़ फेंका जाये। थू है सारे पिताओं पर, थू है सारे भ्राताओं पर, थू है सारे पतियों तथा पुत्रों पर। नारी तू नारायणी… "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ब्लाह ब्लाह ब्लाह…"
- एक दमनकारी और बलात्कारी पुरुष।
"अपनी बेटियों को बलात्कार से बचना सीखने की बजाय अपने बेटों को सिखाएं कि बलात्कार ना करे" - शत प्रति शत सही बात है। पर काश इसके साथ लोग यह भी जोड़ते कि आप अपनी बेटियों को भी सिखाएं कि लड़कों का नाजायज़ फायदा ना उठाएं, और कृपा कर बलात्कार का झूठा केस ना दर्ज करवाएं। पर नहीं, अधिकतर लोगों के लिए सारी रिपोर्ट्स सत्य ही होती हैं।आपका काम आसान कर देता हूँ - आंकड़े ये हैं कि केवल दिल्ली में ५३% बलात्कार के दर्ज मामले झूठे निकले। यह रहा लिंक : link
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पुरुष को भावुक होने का कोई अधिकार नहीं है। चाहे आपको कोई (विशेषतः कन्याएं) सहस्त्रों बार समझाएं कि पुरुष को भी भावनाओं की अभिव्यक्ति का अधिकार है, पर यह केवल छलावा है... एक जाल है। जहाँ किसी पुरुष ने अपनी भावनाओं को व्यक्त कर अपनी दुर्बलताओं को नग्न किया, तहाँ उसे ठोकरें लगनी प्रारम्भ हो जाती हैं। रोना-धोना केवल कन्याओं के लिए हैं, पुरुष केवल पाषाण बने रह सकते हैं। स्नेह केवल स्त्री के लिए है, पुरुष के लिए अकाकीपन। जहाँ बेटी माता-पिता दोनों से जीवनभर स्नेह पाती है, वहीँ लौंडे केवल बचपन में… बड़े हुए तो केवल दुत्कार! अपने ही पिता के स्नेहभरे आलिंगन के लिए हर पुत्र मरणपर्यन्त तरसता रह जाता है। स्त्री तो अपनी सुंदरता और शरीर की बनावट से ही सबको मोहित करती रही है। सबसे रूढ़िवादी परिवारों में भी लड़की के लिए अच्छा वर ढून्ढ कर उसका विवाह कर दिया जाता है। परन्तु पुरुष… चाहे कोई रूढ़िवादी समाज हो या आधुनिक, यदि कमाऊ नहीं है तो उसे कोई लौंडिया घांस तक ना डालेगी… विवाह तो दूर की बात है। असंख्य प्रेम-सम्बन्ध मैंने केवल इसलिए टूटते देखे हैं कि लौंडे की कमाई बहुत कम थी। कामेच्छा के विषय में तो बात करना और तुलना करना भी पाप है। एक भद्र पुरुष प्रारम्भ से भिखारी तो रहा ही है, अब बिना कुछ किये 'बलात्कारी' की उपाधि भी पा चुका है। तू बलात्कारी है... तू दमनकारी है… तुझे जीने का कोई अधिकार नहीं। इस पुण्यभूमि भारत के लिए शुभ सन्देश यह है कि हर ९ मिनट में एक विवाहित पुरुष आत्महत्या कर रहा है... मतलब हर ९ मिनट में एक 'बलात्कारी' कम हो रहा है। लाओ भाई, ढोल नगाड़े लाओ, शहनाई बजाओ अर्रर्र ना ना मॉडर्न ज़माना है... डी जे बुलाओ और धाकड़-धिन्ना नाचो... सारे फेमिनिस्टों को बुलाओ और कहो कि वे नंगे हो कर नाचें... ईश्वर ने चाहा तो शीघ्र ही सारे बलात्कारियों की जनसंख्या बहुत कम हो जाएगी। फिर सारी लौंडियाँ जो चाहे पहन कर (अथवा ना पहन कर) स्वच्छंद होकर घूम-फिर सकेंगीं। कोई रोक-टोक नहीं ! प्रभु करे किसी फेमिनिस्ट के घर कोई 'बलात्कारी' जन्म ना ले। जग में केवल नारिजाति का वर्चस्व हो, पितृसत्ता को उखाड़ फेंका जाये। थू है सारे पिताओं पर, थू है सारे भ्राताओं पर, थू है सारे पतियों तथा पुत्रों पर। नारी तू नारायणी… "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ब्लाह ब्लाह ब्लाह…"
- एक दमनकारी और बलात्कारी पुरुष।
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