मित्रों और सहेलियों, आज ये साबित हो चुका है कि मोदी जी कितने कम्युनल और शांति के शत्रु हैं। पाकिस्तान पर सेना को खुली छूट दे कर उन्होंने अपने संघी अजेंडे का स्वयं ही खुलासा कर दिया है। मोदी जी तो सदा विकास की बात करते आये हैं, ये कैसा विकास है? यदि पाकिस्तान के साथ युद्ध हो गया तो हमारी 'अमन की आशा' पर गुटुर गूं करने वाले कबूतरों का क्या होगा? साथियों, इस पूरी घटना की कई परते हैं, कई निश्कर्ष हैं। हमारे युगपुरुष जी की दिव्य दृष्टि और निर्मल बाबा की निर्मल कृपा से हमने इन बातों को जाना और अब 'सन्नाटे को चीरता' हुआ सनसनीखेज़ खुलासा हम करने जा रहे हैं।
सबसे पहली बात तो ये कि मोदी जी नारी का सन्मान नहीं करते। ये इसी बात पर से साबित हो जाता है कि उन्होंने पल भर नहीं सोचा कि पाकिस्तान पर आक्रमण करने से हिना रब्बानी जी के कोमल ह्रदय को कितनी पीड़ा होगी? मरयम नवाज़ जी को कैसा लगेगा। खुद न खस्ता, यदि इनके कोमल-सुन्दर मुखारविंद चिंता एवं दुःख से मुरझा गए तो इसका उत्तरदायी कौन होगा? वहाँ वो और यहाँ बरखा दत्त, सागरिका घोस और अरुन्धोती रॉय जैसी कोमल ह्रदय नारियों के अति कोमल ह्रदय पर पाकिस्तान पर हुए आक्रमण से जो आघात पहुंचा होगा उसका उत्तरदायी कौन? मोदी जी और उनके खुनी भाजपाई-संघी गुंडे ही ना? इसीलिए मैं कहता हूँ कि मोदी जी नारी विरोधी हैं! नारी ही नहीं वो महामहिम बिलावल जी के वर्ग के लोगों के भी घोर विरोधी हैं! उफ़, कितने कठोर हैं मोदी जी! टोटली हार्टलेस!
दूसरी बात ये कि हमारे विश्वस्त खुफिया सूत्रों ने हमे बताया है कि कांग्रेस अपने शासनकाल में शांतिवार्ता हेतु समय समय पर 'तारुण्यपूर्ण' अभी-सेक्स सिंघवी जी, महामहिम मदेरणा जी, महाबली राघव जी आदि जैसे शांतिदूतों को पाकिस्तान भेजती रहती थी। जिसके फलस्वरूप अधिकतर पाकिस्तानी जनसंख्या यूं ही विशुद्ध 'भारतीय' है। ऐसे में हम इनपर आक्रमण कर क्या अपने ही 'नागरिकों' पर हमला नहीं कर रहे?
कुछ लोग यह कह रहे हैं कि पाकिस्तान को पाठ पढाना अत्यावश्यक हो गया था। पर जब पाकिस्तान को हम अपने छोटे भाई जैसा मानते हैं तो क्या उसके प्रति हिंसा उचित है? पाकिस्तान तो ठीक हमारे संतों की बात का अनुसरण कर रहा है - "छमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात।" - अब क्या पाकिस्तान इसका अक्षरक्षः पालन नहीं कर रहा? अब क्या हमारा उत्तरदायित्व नहीं की हम भी बड़ों वाले कर्तव्यों का पालन करें? यदि किसी छोटे बच्चे के हाथ में चाकू आ जाये और आपके समझाने पर भी वो ना माने तो आप का कर्तव्य है कि आप उसे और समझाएं, और तब तक समझाएं जब तक वो स्वयं आपको चाक़ू ना दे दे या थक कर सो ना जाये (और यदि खेल्ते हुए चाकू से बच्चे को चोट लग गई तो इसके भी उत्तरदायी आप!) ना की बेचारे को कंटाप दे कर चाकू छीन लें। ऐसा घृणित कृत्य केवल पाशाण-ह्रदय संघी ही कर सकते हैं!
साथियों, बात केवल इतनी सी है कि एशियाई खेलों में भारत ने पहले ही कबड्डी आदि खेलों में पाकिस्तान की धुलाई कर दी थी। ऊपर से जब हॉकी में भी भारतीय खिलाडियों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए पाकिस्तानी टीम की बैंड बजा दी तो बेचारे कोमल ह्रदय के पाकिस्तानी सेना के जवान ये पराजय उदरस्थ ना कर पाए। किसी तरह ह्रदय की पीड़ा को दबा कर बेचारों ने अपने पडोसी भारत के विजय की प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए कुछ पटाखे छोड़े। इसी का बहाना बना कर मोदी जी ने बेचारों पर हमारी सेना से आक्रमण करवा दिया। स्वयं पर किसी को संदेह ना हो इसलिए मोदी जी स्वतः चुनावी सभाओं में व्यस्त हो गए। इनके इसी दिखावे में आ कर राज ठाकरे जी ने भी ये आरोप लगा दिए कि मोदी जी को तो सीमा पर या दिल्ली में होना चाहिए, वो महाराष्ट्र में क्या कर रहे हैं! साथियों भारत की जनता बड़ी भोली है और ये संघी-भाजपाई एक नंबर के काइयाँ! किसी को इनके षड़यंत्र समझ नहीं आते, सिवाय ब्रह्मज्ञानी दिग्विजय जी के और हमारे युगपुरुष जी के।
जय झाड़ू, जय निर्मल कृपा, चंदे मातरम।
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