फसबुकिया गिरोह की फसबुकिया बड्डे पार्टी

पिछले कुछ वर्षों में फेसबुक पर पेजेस का संचालन करते हुए कई अच्छे लोगों से परिचय हुआ। धीरे-धीरे ये अच्छे मित्र बन गए और पेज संचालन में हम जैसे निठल्लों का हाथ बँटाने लगे। कुछ इस प्रकार 'लोग आते गए, कारवां बनता गया' की तर्ज पर हम चवन्नीछाप लेखकों का एक 'गिरोह' बन गया।

 कल अपने एडमिन 'गिरोह' के एक छोरे का हैप्पी वाला बड्डे था। अब मतलब, जब हमारे जैसा गिरोह साथ है तो बड्डे तो हैप्पी होना ही था ! 'बड्डे बॉय महोदय अपने उग्र स्वाभाव के कारण हम सब के बीच 'गदाधारी भीम' की पदवी पा चुके हैं... तथा हम सभी सदैव प्रयत्नरत रहते हैं कि इन्हें दसों दिशाओं में इसी नाम से कुख्यात करें। आशा करते हैं कि आप सभी की सहायता से हमारा यह मनोरथ शीघ्र ही पूर्ण होगा। हमारे रेग्युलर पाठक उन्हें #विषैला_विशु के नाम से जानते होंगे। (वैसे बन्दे का आई-डोंट-केयर और आई-डोंट-गिव-अ-फक वाले ऐटिट्यूड के चलते ये नाम भी फिट बैठता है, नहीं?)

आगे की कहानी बताने से पहले आप सभी को बता दूँ कि इस 'गिरोह' में हम सब अलग-अलग नगरों-महानगरों के निवासी हैं। कोई दिल्ली में है, तो कोई मुंबई में और कोई पटना में। अब जन्मदिन पर मिल कर बड्डे-बम्प्स नहीं दे पाये तो क्या हुआ, फेसबुक पर तो पार्टी की ही जा सकती थी!

हाँ, तो आगे की कहानी ये है कि अपने गिरोह के सबसे अनुज मेंबर ने सवेरे-सवेरे नित्य क्रिया निपटाते समय ही समय का सदुपयोग करते हुए 'पाकिस्तान' में बैठे-बैठे ही इन्हें फेसबुकिया अंदाज में हैप्पी बड्डे की बधाइयाँ बड़े ही रचनात्मक अंदाज में दे डाली (जियो छोरे!)। छोरे ने सीधा 'भीमसेन' के प्रोफाइल पर जा कर 'बधाई सन्देश' पोस्टिया दिया और साथ में बाकी के मित्रों को भी टैग कर दिया। यह रहा पोस्ट -


दिन में जो जब ऑनलाइन आया, वहाँ बधाई का एक कमेंट कर के निकल लिया। अब नौकरी-पानी के भागदौड़ के चलते फेसबुक पर समय कम ही मिल पता है, इसलिए कई दिनों से हम सभी की बकैती की खेती सूखी पड़ी थी; दिन भर सूखी ही रही। रात को हम बैठे कुछ लेख उगलने में लगे हुए थे कि हमारे प्रिय भीमसेन का बधाई संदेशों के उत्तर में 'धन्यवाद' आया।

#विषैला_विशु : सभी को धनबाद, राँची, बोकारो। 

संयोग से सभी गिरोह सदस्य इस समय ऑनलाइन ही थे। फिर तो बकैती की डकैती चल पड़ी सब की। कमेंट तो शतक से कहीं आगे निकल लिए, पर वहां कुछ 'मीम' की जो अफीम उड़ाई गयी वो सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है।


#विषैला_विशु : अरे कौन जनम का बदला ले रहे हो प्रभु?
#SahuCar : बदला? बदला तो जनता लेगी, मालिक। बड्डे के दिन ना केक, ना मिठाई! ऐसा कैसे चलेगा?


लो जी, युगपुरुष पधारे हैं। केक नहीं दिया तो रायते की बाढ़ ला देंगे ये 


राहुल बाबा को तो केक देंगे ही ना आप? इनकी भोली सूरतिया देखिये। इनका दिल मत तोड़िएगा ;)


अब तो इमाम बुखारी भी आ गए। अब तो पार्टी बनती है :P 


लो जी, अब तो वाढरा जी भी पधार गए पार्टी में। अपने घर-आंगन की ज़मीन बचाना चाहते हो तो मिठाई पेश करिये जल्दी। 


#विषैला_विशु : सुबह की पहली 'मिठाई' इन्हीं सब के नाम की है। :P 


#Pallav :  लाॅल। अब हम भी आता हूँ मेमे लेकर।
#विषैला_विशु : हम भौं-भौं लाऊंगा।


अगले तीन मेमे-भौं भौं #Pallav द्वारा चिपकाये गए - 


इतने में केक भी प्रकट हो गया... वो भी गदा की अकार में !


अब तो केक भी आ गया, काटने के लिए छुरी?… ना ना, हम तो तलवार से काटेंगे !


बस यूँ ही बकैती कटती रही आधी रात तक। बहुत दिनों पश्चात दिल खोल कर 'चकल्लस' किया सारे मित्रों ने। और फिर शुभरात्रि बोल कर सन्ना लिए। 


… और इस प्रकार फसबुकिया बड्डे पार्टी का समापन हुआ। 


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