बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के जन्मदिन पर श्रद्धांजलि


आज हिंदी सिनेमा जगत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना अर्थात 'काका' का हैप्पी बड्डे है। लोग काका के अफेयर्स और लड़कियों की उनके लिए दीवानगी की बातें कर उन्हें याद करते हैं, पर हम जैसे लौंडे तो उनकी उन फिल्मों की यादों में खो जाते हैं जिन्होंने हमें ना केवल हँसाया-रुलाया, अपितु प्रेरित भी किया। कितनी बार तो देख लिया, पर आनंद फिल्म देख कर आज भी गला भर आता है। ये एक ऐसी फिल्म थी जिसने जीवन के कठिन से कठिन पलों में भी हँस कर जीने का ढाढस बंधाया। स्वयं नर्क की अग्नि में जलते हुए भी सदा मुस्काने का गुर सिखाया। अपने तो अपने, दूसरों को भी हँसाने की सीख के बीज मन की धरा में भली-भाँति बो दिया। दूसरी ओर 'बावर्ची' ने भी ज़िंदादिली की चिंगारी इस ह्रदय में फूँक दी थी। 

हम तो ऐसे ही काका के फैन थे, फिर देखी काका की कालजयी "पुष्पा, आई हेट टीयर्स" वाली 'अमर प्रेम'। समाज की मुख्य-धारा मान्यताओं और अपेक्षाओं के ठीक विपरीत, ना केवल एक 'पतिता' वैश्या अपितु एक 'चरित्रहीन' पुरुष के मन और प्रेम के इस चित्रण ने भीतर तक छू लिया था। कितनी और फिल्में, कितनी और बातें ! जितनी बातें, उतनी यादें।

मनुष्य अच्छे-बुरे कर्मों से याद किया जाता है। जीवन बुराइयों को याद कर उन्हें कोसने के लिए बहुत छोटा है। काका के जीवन के अनेक रंगों से जो सबसे अधिक प्रेरणादायक हैं उन्हीं को चुन कर आज उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं … और वही उनका जीवन की फिलोसोफी से लबालब भरा मन्ना डे के स्वरों से सजा गाना सुन रहे हैं - "ज़िंदगी, कैसी है पहेली हाए... कभी ये हँसाए, कभी ये रुलाए…"

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