हाँ तो साहिबान, मेहरबान, सुनिये सुनिये सुनिये आपियों और 'पापियों' (भाजपाइयों) के बीच हुए महाभारत-रामायण से भीषण युद्ध की कहानी -
पिछले ब्लॉग पोस्ट में आपने पढ़ा ही होगा कि कैसे हमारे युगपुरुष ए के सर मोदी की लंका में खुलासा करने घुस गए और कैसे आपिया वानर सेना भाजपा के कार्यालय पहुंची (अगर नहीं पढ़ी तो पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) … अब पढ़िए आगे कि विस्तृत जानकारी -
ये मिर्च-मसला लगाई हुई खबर कि युगपुरुष जी का गुजरात में चीरहरण हो गया है, को सुन कर 'आपियों' के तन-बदन में ज्वाला धधक उठी। वैसे गुजरात पुलिस में इतना दम कहाँ कि वो श्री केजरीवाल कि 'तशरीफ़' को बुरी नज़र से छू भी सकें! हर आपिया युगपुरुष से अत्यधिक प्रेम करता है। इन भाजपा वालों की तरह नहीं कि मोदी की भरी सभा में कोई बम के विस्फोट कर गया और ये सारे शांति से मुंह ताकते रह गए। अगर इनको मोदी से तनिक भी प्रेम होता तो शहर भर की ईंट से ईंट न बजा देते? ऊपर ये इनका डरपोक मोदी वहीँ खड़े-खड़े सब को शांति का सन्देश देता रहा। इसमें कैसी वीरता? इसमें कैसा प्रेम? प्रेम तो आपियों में है केजरीवाल जी के लिए, कि उठाया सब ने झाड़ू और निकल पड़े भाजपाइयों के बताशे नापने। वैसे शाजिया जी का कहना
सही था, आप समर्थक झाड़ू और पत्थर ले कर प्रेम सहित प्रार्थना करने गए थे कि युगपुरुष जी को छोड़ दिया जाये, पर वो तो पहले से ही छूटे हुए थे! ऊपर से ये मामला चुनाव आयोग के आधीन था और इसमें ये नामुराद भाजपा वाले 'घंटा' कुछ कर सकते थे। न ये बात बेचारे आपियों को पता थी, ना किसी ने बताने की कृपा की। अब ना आपीए उनको छुड़वा सकते थे न भाजपा वाले उनको छोड़ सकते थे। अब इतनी मेहनत गई न बेकार! इस बात की खीज जब मौखिक रूप में व्यक्त हुई तो ये संघी-भाजपाईयों ने भी आपियों के प्रति उनके प्रेम की अभिव्यक्ति कर दी। बस फिर क्या था, दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी हो गयीं !आपियों ने सोचा कि जब बम विस्फोट हुए तब इन भाजपाइयों ने कुछ नहीं किया तो अब क्या करेंगे? 'युवा जोश और घंटा होश' का नारा अपनाते हुए किसी आपिये ने आपा खो दिया। बस इतना काफी था। भाजपा के कार्यालय के अंदर से पत्थरों कि बरसात हो गयी! बेचारे आपियों को क्या पता था कि इन संघी गुंडों ने पहले से ही अंदर पत्थरों का ढेर जमा कर रखा था। पर अगर उनके पास पत्थरों का ज़खीरा था तो आपियों के पास भी हौसले और झाड़ू दोनों कम ना थे ! हो गया शुरू घमासान !
पत्रकार से अब पक्के 'पत्थर-कार' बने श्री श्री आशुतोष जी ने तो भाजपाइयों में उत्पात मचा रखा था। कभी वो दीवार फांद जाते तो कभी ऊंचाई पर खड़े हो पापी… अररर मेरा मतलब है आपी सेना का मनोबल बढ़ाते। ऐसा प्रतीत होता था मानो वानर सेना के 'नल और नील' कि आत्मा एक साथ इन्हीं में समा गयी हो! जय हो, जय हो! जय हो!
जब सेनापति ही इतने प्रतापी हों तो सेना का क्या कहना! देखिये कैसे एक एक आपिये ने दुष्ट भाजपाइयो और कांग्रेसी पुलिस के नाक में दम कर रखा था। राहुल भैय्या तो नारी सशक्तिकरण (Women empowerment) की केवल बातें ही करते रहते हैं; आप का नारी सशक्तिकरण तो भाजपाइयों ने देखा भी और भुगता भी। स्वयं रणचंडी बन कर बरसी थी एक एक 'आपी' नारी!
आप के योद्धाओं ने भाजपाइयों और पुलिस दोनों से जम कर लोहा लिया। कोई युगपुरुष धर्मराज परमप्रतापी श्री अरविन्द केजरीवाल जी के 'स्थानविशेष' को हानी पहुंचाए और आपिये शांत रह जाएं! असम्भव! यलगार हो !
कितने ही भाजपाइयों को घायल किया, कितनी खिड़कियां और कुर्सियां तोड़ीं इसकी तो गिनती भी नहीं रही!
याद रहे - जो हमसे टकराएगा वो भ्रष्टाचारी कहलायेगा !
इन भाजपाइयों की इतनी कम्बल कुटाई की कि अंत में आप वालों के कोमल हाथों में चोटें आ गयी !
पिछले ब्लॉग पोस्ट में आपने पढ़ा ही होगा कि कैसे हमारे युगपुरुष ए के सर मोदी की लंका में खुलासा करने घुस गए और कैसे आपिया वानर सेना भाजपा के कार्यालय पहुंची (अगर नहीं पढ़ी तो पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें) … अब पढ़िए आगे कि विस्तृत जानकारी -
ये मिर्च-मसला लगाई हुई खबर कि युगपुरुष जी का गुजरात में चीरहरण हो गया है, को सुन कर 'आपियों' के तन-बदन में ज्वाला धधक उठी। वैसे गुजरात पुलिस में इतना दम कहाँ कि वो श्री केजरीवाल कि 'तशरीफ़' को बुरी नज़र से छू भी सकें! हर आपिया युगपुरुष से अत्यधिक प्रेम करता है। इन भाजपा वालों की तरह नहीं कि मोदी की भरी सभा में कोई बम के विस्फोट कर गया और ये सारे शांति से मुंह ताकते रह गए। अगर इनको मोदी से तनिक भी प्रेम होता तो शहर भर की ईंट से ईंट न बजा देते? ऊपर ये इनका डरपोक मोदी वहीँ खड़े-खड़े सब को शांति का सन्देश देता रहा। इसमें कैसी वीरता? इसमें कैसा प्रेम? प्रेम तो आपियों में है केजरीवाल जी के लिए, कि उठाया सब ने झाड़ू और निकल पड़े भाजपाइयों के बताशे नापने। वैसे शाजिया जी का कहना
सही था, आप समर्थक झाड़ू और पत्थर ले कर प्रेम सहित प्रार्थना करने गए थे कि युगपुरुष जी को छोड़ दिया जाये, पर वो तो पहले से ही छूटे हुए थे! ऊपर से ये मामला चुनाव आयोग के आधीन था और इसमें ये नामुराद भाजपा वाले 'घंटा' कुछ कर सकते थे। न ये बात बेचारे आपियों को पता थी, ना किसी ने बताने की कृपा की। अब ना आपीए उनको छुड़वा सकते थे न भाजपा वाले उनको छोड़ सकते थे। अब इतनी मेहनत गई न बेकार! इस बात की खीज जब मौखिक रूप में व्यक्त हुई तो ये संघी-भाजपाईयों ने भी आपियों के प्रति उनके प्रेम की अभिव्यक्ति कर दी। बस फिर क्या था, दोनों सेनाएं आमने सामने खड़ी हो गयीं !आपियों ने सोचा कि जब बम विस्फोट हुए तब इन भाजपाइयों ने कुछ नहीं किया तो अब क्या करेंगे? 'युवा जोश और घंटा होश' का नारा अपनाते हुए किसी आपिये ने आपा खो दिया। बस इतना काफी था। भाजपा के कार्यालय के अंदर से पत्थरों कि बरसात हो गयी! बेचारे आपियों को क्या पता था कि इन संघी गुंडों ने पहले से ही अंदर पत्थरों का ढेर जमा कर रखा था। पर अगर उनके पास पत्थरों का ज़खीरा था तो आपियों के पास भी हौसले और झाड़ू दोनों कम ना थे ! हो गया शुरू घमासान !
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भाजपा कार्यालय के भीतर |
आप की सेना में एक से बढ़ कर एक महारथी-अतिरथी शामिल थे। जैसे ही युद्ध का शंखनाद आशुतोष जी के 'स्थानविशेष' से हुआ, सारे योद्धा भिड़ पड़े -
एक ओर गांधी जी के पौत्र श्री राजमोहन गांधी अपने 'सेक्युलर' रंग के स्वेटर के साथ आते हुए पत्थरों को चकमा देते हुए आप की वानर सेना का मनोबल बढ़ा रहे थी, तो वहीँ दूसरी ओर तिलक नगर से आप के विधायक जरनैल सिंह जी तीव्र वेग से पत्थरों कि बौछार कर रहे थे। इन सब से पृथक, श्री श्री आशुतोष जी अपनी योगिक शक्तियों का प्रयोग कर बिना छुए ही कुर्सियों को उड़ा कर शत्रु सेना पर गिरा रहे थे -


आप के योद्धाओं ने भाजपाइयों और पुलिस दोनों से जम कर लोहा लिया। कोई युगपुरुष धर्मराज परमप्रतापी श्री अरविन्द केजरीवाल जी के 'स्थानविशेष' को हानी पहुंचाए और आपिये शांत रह जाएं! असम्भव! यलगार हो !
कितने ही भाजपाइयों को घायल किया, कितनी खिड़कियां और कुर्सियां तोड़ीं इसकी तो गिनती भी नहीं रही!
याद रहे - जो हमसे टकराएगा वो भ्रष्टाचारी कहलायेगा !
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यलगार हो ! |
इतने में कांग्रेसी पुलिस और भाजपाई एक हो कर आपियों पर टूट पड़े। एक तरफ कुड़कुड़ाती ठंडी में पुलिस की 'वाटर केनन' की तेज़ बौछार और दूसरी तरफ भीगे बदन पर भाजपाइयों के फेंके हुए पत्थर। दोनों दल एक हो गए और आपियों की सेंकाई करने पर आमादा हो गए। किसी तरह वहाँ से अपनी जान और 'जहान' बचा कर उलटे पांव भागे बेचारे आपिये। दिन पूरा बीता भी नहीं था कि बिकाऊ मीडिया वालों ने इस पत्थरबाज़ी का सारा ठीकरा आप समर्थकों पर फोड़ दिया! ना पुलिस की करतूत के बारे में कुछ कहा, ना भाजपाइयों के कुकर्मों का बखान किया। सही कहते हैं युगपुरुष केजरीवाल जी, ये कांग्रेसी और भाजपाई मिले हुए हैं और ये मीडिया और पुलीस इन दोनों के हाथों बिकी हुई है। सालों ने मार-मार कर बेचारों के पिछवाड़ों का चबुतरा बना दिया था !
युगपुरुष ने भी अपनी अति तीक्ष्ण बुद्धि लगाई और गुजरात में बैठे-बैठे ही आपियों का उद्धार कर दिया। आपियों का बचाव करते हुए उन्होंने माफ़ी भी मांग ली और ये भी कहा कि 'आप' समर्थकों में से हिंसा करने वाले केवल 'एक-आध' थे। अब ये बात तो बताना कठिन होगा कि ये 'एक' आपिया कौन था, परन्तु 'आधा' आपिया कौन है ये तो जगजाहिर है ही!
धन्य हैं युगपुरुष परमप्रतापी सत्यवादी सेकुलरिज्म की मूरत श्री श्री अरविन्द केजरीवाल अर्थात ए के सर, जिन्होंने अपने और कविराज पर इलज़ाम ले कर अनेक आपियों के ना केवल 'बताशे' बचा लिए, अपितु इतने दिनों से मीडिया के कैमरों की उपेक्षा से भी निजात पा लिया। अब देखिये कैसे समाचारों में छाये हुए हैं ए के सर !
जय झाड़ू । जय टोपी । चंदे मातरम ।
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