मित्रों और सहेलियों,
आज विषय गंभीर है… अरे क्रिकेट वाले गौतम 'गंभीर' की बात नहीं कर रहे हम। हम तो ये कह रहे हैं कि आज कि समस्या गंभीर है। आजतक जो हमारे युगपरुष श्री श्री अरविन्द केजरीवाल के पीछे कैमरा ले कर उनकी प्रशंसा करते फिरते थे , वो आज युगपुरुष जी का ही 'खुलासा' करते नहीं थक रहे। अरे! फिर से आप समझने में त्रुटि कर रहे हैं। अरे 'आप' नहीं, आप/तुम! और जब मैंने 'आजतक' कहा तो तात्पर्य 'अब तक', यानि इस समय तक था। अपने सर के बाल नोच लेने का जी कर रहा है अब! कितनी मुश्किल हो गई है एक साधारण सी बात कहना! हर शब्द के अर्थ का अनर्थ हो जाता है। वैसे बात हम मीडिया की कर रहे थे। पता नहीं इन मीडिया वालों का क्या बिगाड़ा था युगपुरुष जी ने, ये अपना माइक और कैमरा ले कर युगपुरुष के पीछे ही पड़ गए हैं। एक के बाद एक ऍम ऍम ऍस, एक के बाद एक स्टिंग ऑपरेशन! जब खुलासा-विशेषज्ञ का ही कोई खुलासा करने लगे तो खिसियाना तो स्वाभाविक है ही। इसपर ही युगपुरुष जी ने 'फ्रस्टेटिया' के कह दिया होगा के इन साले मीडिया वालों को तो जेल भेज देना चाहिए। अब इसपर इतना बवाल करने कि कउनो जरुरत है का? बताईये? कांग्रेस और भाजपा भी तो इनके 'स्थानविशेष' के नीचे जब तब अगरबत्ती लगाये रखते हैं। तब घंटा ये कुछ कहते हैं! केवल युगपुरुष जी के ही कहने का काहे बुरा मान गए?
अभी कुछ समय ही बीता है जब भाजपा समर्थक और संघियों ने मिल कर आप-तक… अरर मेरा मतलब 'आज-
तक' कि बैंड बजा रखी थी! पूरे फेसबुक और ट्विटर पर आजतक के बहिष्कार का अभियान चलाया था। तब ना दिखायी इन मीडिया वालों ने खून में इतनी गर्मी। महाबली कपिल सिब्बल ने तो सोशल मीडिया की ही लगाम कसने की बात कर डाली थी। कांग्रेस ने तो वैसे ही इस मीडिया को खरीद रखा है, तो फिर वो उनके विरुद्ध कुछ कैसे बोलेंगे? पर नहीं, केवल युगपुरुष के 'स्थानविशेष' में माइक डालने में रूचि दिखा रहे हैं ये बिकाऊ मीडिया वाले! परन्तु क्यों?
इसका भी उत्तर है ! असल में कोई ऐरा-गैरा-नत्थू-खैरा जो चाहे बोल ले, ह्रदय को उतनी ठेस नहीं पहुँचती जितनी तब पहुँचती है जब कोई प्रियजन कोई कठोर-वचन बोल दे। ये मीडिया वालों का प्रेम ही तो है कि युगपुरुष श्री केजरीवाल जी की विनोद में कही गई बात का बुरा मान गए। जैसे ही प्रभु श्री केजरीवाल के समझ में ये बात आई तो उन्होंने भी मीडिया के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए कहा, "में आपसे कैसे विक्षुब्ध(upset) हो सकता हूँ?" देखा आपने, कितना प्रेम है युगपुरुष का कैमरा … अरर, मेरा मतलब है मीडिया वालों पर ! प्रभु सर्वशक्तिमान इस प्रेम को बनाये रखे !
जय चंदा। जय झाड़ू। चंदे मातरम।
आज विषय गंभीर है… अरे क्रिकेट वाले गौतम 'गंभीर' की बात नहीं कर रहे हम। हम तो ये कह रहे हैं कि आज कि समस्या गंभीर है। आजतक जो हमारे युगपरुष श्री श्री अरविन्द केजरीवाल के पीछे कैमरा ले कर उनकी प्रशंसा करते फिरते थे , वो आज युगपुरुष जी का ही 'खुलासा' करते नहीं थक रहे। अरे! फिर से आप समझने में त्रुटि कर रहे हैं। अरे 'आप' नहीं, आप/तुम! और जब मैंने 'आजतक' कहा तो तात्पर्य 'अब तक', यानि इस समय तक था। अपने सर के बाल नोच लेने का जी कर रहा है अब! कितनी मुश्किल हो गई है एक साधारण सी बात कहना! हर शब्द के अर्थ का अनर्थ हो जाता है। वैसे बात हम मीडिया की कर रहे थे। पता नहीं इन मीडिया वालों का क्या बिगाड़ा था युगपुरुष जी ने, ये अपना माइक और कैमरा ले कर युगपुरुष के पीछे ही पड़ गए हैं। एक के बाद एक ऍम ऍम ऍस, एक के बाद एक स्टिंग ऑपरेशन! जब खुलासा-विशेषज्ञ का ही कोई खुलासा करने लगे तो खिसियाना तो स्वाभाविक है ही। इसपर ही युगपुरुष जी ने 'फ्रस्टेटिया' के कह दिया होगा के इन साले मीडिया वालों को तो जेल भेज देना चाहिए। अब इसपर इतना बवाल करने कि कउनो जरुरत है का? बताईये? कांग्रेस और भाजपा भी तो इनके 'स्थानविशेष' के नीचे जब तब अगरबत्ती लगाये रखते हैं। तब घंटा ये कुछ कहते हैं! केवल युगपुरुष जी के ही कहने का काहे बुरा मान गए?
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भाजपा वालों ने चलाया हुआ खाज-तक... अरर, मेरा मतलब आजतक के बहिष्कार का अभियान |
तक' कि बैंड बजा रखी थी! पूरे फेसबुक और ट्विटर पर आजतक के बहिष्कार का अभियान चलाया था। तब ना दिखायी इन मीडिया वालों ने खून में इतनी गर्मी। महाबली कपिल सिब्बल ने तो सोशल मीडिया की ही लगाम कसने की बात कर डाली थी। कांग्रेस ने तो वैसे ही इस मीडिया को खरीद रखा है, तो फिर वो उनके विरुद्ध कुछ कैसे बोलेंगे? पर नहीं, केवल युगपुरुष के 'स्थानविशेष' में माइक डालने में रूचि दिखा रहे हैं ये बिकाऊ मीडिया वाले! परन्तु क्यों?
इसका भी उत्तर है ! असल में कोई ऐरा-गैरा-नत्थू-खैरा जो चाहे बोल ले, ह्रदय को उतनी ठेस नहीं पहुँचती जितनी तब पहुँचती है जब कोई प्रियजन कोई कठोर-वचन बोल दे। ये मीडिया वालों का प्रेम ही तो है कि युगपुरुष श्री केजरीवाल जी की विनोद में कही गई बात का बुरा मान गए। जैसे ही प्रभु श्री केजरीवाल के समझ में ये बात आई तो उन्होंने भी मीडिया के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हुए कहा, "में आपसे कैसे विक्षुब्ध(upset) हो सकता हूँ?" देखा आपने, कितना प्रेम है युगपुरुष का कैमरा … अरर, मेरा मतलब है मीडिया वालों पर ! प्रभु सर्वशक्तिमान इस प्रेम को बनाये रखे !
जय चंदा। जय झाड़ू। चंदे मातरम।
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