गुजरात के विकास के झूठ की केजरीवाल ने की पोल खोल!

जैसे की महामहिम केजरीवाल जी ने कहा था कि वो गुजरात के विकास के दावों के झूठे होने का खुलासा करने
गुजरात का दौरा करेंगे, उन्होंने वैसा ही किया।  कथनी और करनी में किंचित मात्र भी अंतर नहीं है युगपुरुष जी के। इतना ही नहीं, गुजरात  जाने से पहले ही उन्हें ये भली भांति ज्ञात था कि वहाँ के विकास के दावे झूठे हैं।  चाहे युगपुरुष जी ने केवल ४९ दिनों के लिए सरकार क्यों न चलाई हो, परन्तु उन्हें इस १२ साल से गुजरात में कुशासन दे रहे संघी-भाजपाई मोदी से बेहतर पता है कि सुशासन किस चिड़िया का नाम है और उसे कैसे दाना चुगाया जाता है!  वैसे इसके बाद जो भी हुआ वह पूरा घटनाक्रम रामायण में लंका-विजय कि गाथा से कम ना है।  

जिस प्रकार हनुमान जी लंका में पहुंचे थे, उसी प्रकार ए के सर अपनी कार में गुजरात पहुँच गए।  ये तो चुनाव आयोग कि गलती थी कि उन्होंने उसी दिन आदर्श अचार संहिता लागू कर दी। युगपुरुष जी तो अपने चेले-चपाटियों के संग रोड पर सत्संग कर रहे थे। इतने में पुलिसिये आये और भिड़ गए।  युगपुरुष जी की वीरता तो देखिये, बार बार सत्संग बंद करने के लिए कहे जाने पर उन्होंने पुलिस वाले से प्रार्थना की कि वो उन्हें गिरफ्तार कर लें , परन्तु ये पुलिस वाला मान ही नहीं रहा था।  आखिर में उग्रता दिखने पर ही उन्हें पुलिस स्टेशन ले कर गया ये पुलिस वाला। यही मौका था , युगपुरुष जी ने अपनी उपजाऊ खोपड़िया का इस्तेमाल किया और रुदाली-विलाप मचा दिया कि मुझे सीता माता कि तरह हर लिया गया है और डर है कि कहीं आगे का हाल द्रौपदी वाला न कर दिया जाये। बस क्या था, 'आप' की वानर-सेना ने अपना काम किया और यह समाचार दिल्ली तक पहुँच गया। 

जब समाचार उड़ते-उड़ते पहुँचता है तो साथ में ढेर सारा मसाला भी जमा कर लेता है।  दिल्ली कि 'आपिया' वानर सेना को जब ये खबर पहुंची कि उनके युगपुरुष के निजी 'लोकपाल' का बुरा हाल किया जा रहा है, तो उनके अश्रु न रुक पाये। वानर सेना अगले ही पल भाजपा के दिल्ली वाले कार्यालय में धरना देने पहुँच गयी। उधर दूसरी ओर महर्षी योगेन्द्र यादव जी मीडिया वालों को ये समझाने में लगे हुए थे कि युगपुरुष जी ने कोई त्रुटि नहीं कि है।  ये संघी पुलिसिये नाहक ही अचार संहिता का नाम ले कर उन्हें उठा ले गए।  उनके शब्दों में, "बिना झंडे कोई जनसभा हो सकती है भला?" आप समर्थक तो वहाँ झाड़ू ले कर सड़कें साफ़ करने पहुंचे थे! अब ये बात कौन इन मूढ़ मति बिकाऊ मीडियावालों को समझाए! इधर दिल्ली भाजपा कार्यालय में 'आपिये' किसके बताशे ज्यादा गोल हैं इस बात का फैसला करने पहुँच गए थे। फिर जो घमासान हुई है वो तो सब जानते ही हैं।  पहले तो इन संघी-भाजपाइयों ने एक एक 'आपिये' की निजी 'लोकपाल' लाल कर दी, फिर ऊपर से पुलिस वालों ने भी रही सही कसर डंडों से पूरी कर दी।  तशरीफ़ कि तश्तरी कर दी थी सालों ने ! बाकि, हर एक आप समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से अपनी तशरीफ़ सिकवा रहा था।  वो जो मीडिया वाले दिखा रहे हैं वो भाजपाई गुंडे हैं और उन्होंने 'आप' कि टोपी पहन रखी है।  

इस पूरे घटनाक्रम से यही बात पता चलती है कि गुजरात के विकास के दावे झूठे हैं और मोदी जी हमारे युगपुरुष जी से डर गए।  भाई, विकास केवल सड़कों-हस्पतालों-स्कूलों और फैक्ट्रियों से नहीं होता… विकास असल में वहाँ होता है जहाँ हमारे युगपुरुष जी को धरना और जन सभा करने से कोई न रोके, चाहे फिर वहाँ अचार संहिता ही क्यों न लागू हो! 
Share on Google Plus
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment