मित्रों और सहेलियों, आज हम इन संघी-भाजपाइयों की एक छीपी हुई चाल का खुलासा करने जा रहे हैं...इन्होने कैसे सोये हुए मासूम से ड्रैगन के स्थानविशेष में अगरबत्ती कर दी इस बात का खुलासा कर रहे हैं तनिक ध्यानपूर्वक पढियेगा।
साथियों, इन संघियों-भाजपाइयों की ये नापाक हरकत तो उसी दिन से आरंभ हो गई थी जिस दिन से मोदी जी प्रधानमंत्री की कुरसी पर विराजमान हुए थे। आप सब को याद तो होगा ही कि किस प्रकार मोदी जी ने अपनी विदेश यात्रा की श्रृंखला में सबसे पहले भूटान जैसे छोटे से देश को चुना.. तत्पश्चात नेपाल और अंत में जापान को। साथियों ये तीनो देश कम्युनल हैं इस बात को प्रमाण की आवश्यकता नहीं, क्योंकि यहाँ मुसलमान बहुसंख्यक नहीं हैं। वैसे भी यदि हम ने कह दिया तो कह दिया, हमारे पास युगपुरुष जी का ईमानदारी और सच्चाई वाला सर्टिफिकेट जो है! हाँ तो हम क्या कह राहे थे? जी हाँ, उन्होंने अपनी यात्रा में केवल कम्युनल देश ही चुने। उसपर भी, उन्होंने जापान में शिंजो जी को केवल भगवत गीता ही भेंट दी, बाइबिल या कुरान क्यों नहीं दी? साथियों, यही तो स्कैम है, इसके लिए ही तो हम लड़ रहे हैं।
ये तो बड़े प्लान का केवल छोटा सा हिस्सा था, मोदी जी का तो असल में प्रयोजन चीन और पाकिस्तान को अलग थलग करना था! साथियों, यदि मोदी जी को स्वयं को सेक्युलर साबित करना है तो उन्हें पाकिस्तान के साथ 'अमन की आशा' वाली धुन पर नाचना ही होगा। साथ ही चीन से हमारा गहरा सम्बन्ध है, चीन वामपंथी साम्यवादी (लेफ्टिस्ट कम्युनिस्ट)देश है। सारे आम आदमी वहां एक जैसे केवल दीखते ही नहीं, अपितु हैं भी। मोदी जी ने ऐसे देश को उंगली कर के साबित कर दिया कि उन्हें आम आदमी की कोई परवाह नहीं, वो अम्बानी और अदानी जैसों के हाथों बिके हुए हैं। उन्होंने पुनः ये भी प्रमाणित कर दिया कि वो पूरे कम्युनल हैं जब उन्होंने श्री शी जिनपिंग जी को भी भगवत गीता भेंट दी! आखिर चाहता क्या है ये आदमी? कि सारी दुनियाँ भगवा आतंकवादी बन जाये?
साथियों, जब राष्ट्रपति प्रोनब दा ने श्री शी जिनपिंग जी को राजकीय भोज दिया तब भी हम अपनी तीखी निगाहें टीवी पर गडाए पूरा कार्यक्रम देख रहे थे। कार्यक्रम में किसी इमानदार आपिये को क्यों नहीं बुलाया गया? अजी आपियों की छोडिये, इन्होने तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया वाले येचुरी जी, वृंदा जी आदि जैसे घनघोर कम्युनिस्टों को भी एक महान कम्युनिस्ट देश के प्रमुख से नहीं मिलने दिया गया, क्यों? ऊपर से उसी कार्यक्रम में रतन टाटा, अम्बानी और अदानी सारे के सारे उपस्थित थे। यही तो स्कैम हैं साथियों, इसके लिए ही तो हम लड़ रहे हैं। ये सरकार बिकी हुई है।
साथियों, हमारा दिमाग तो तब ठनका था जब मोदी जी ने शी जी पर अपनी संघी ब्रांड दादागिरी झाड़ी थी। आप स्वयं इस फोटो में देखिये कि कैसे मोदी जी श्री शी जिनपिंग को सूत की माला पहना कर धमका रहे हैं, जैसे कह रहे हों,"सुन बे सूतिये, यदि अधिक चतुराई दिखाई तो इसी सूत से गला घोट दूंगा तेरा। सूतियों की सूत पहना कर सुताई करने में आनंद आता है मुझे।"
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