गली के छोर पर एक लड़की प्रतिदिन खड़ी रहती थी। आते-जाते पुरुषों से अंखियाँ मिला कर बुलावा देते हुए किराना दुकान के लाला जी ने कई बार देखा था उसे। आज लाला जी का भी दिल मचला। लाला उस लड़की से 'भाव' किये बिना ही भरे बाजार उसकी कलाई पकड़ कर उसे अपने साथ जबरदस्ती चलने को कहने लगा... लड़की ने चीखा-चिल्लाया तो भीड़ इकठ्ठा हो गई। लाला की टोपी उछल गई। अब लड़की सब की सिम्पैथी का सहारा ले कर नारी के सम्मान और अस्मिता पर ज्ञान पेल रही थी और लोग उसकी हाँ में हाँ मिला रहे थे।
एक बूढा खड़ा सब देख रहा था। उसकी हंसी रुकी नहीं और वह ठहाके लगा पड़ा। लोग पूछे कि दद्दू का भवा? दद्दू बोले कि लाला की सुताई इसलिए ना हुई कि लौंडिया सति-सावित्री है...पर इसलिए कि साले ने रावण वाला काम किया, वो भी खुले बाजार...कि बाकी के लौंडे देख कर उससे सीख रहे थे। जो आज लाला को लात ना देते, तो कल दूजे लौंडे तुम्हारे-हमारे घर की बहु-बेटियों से भी यही करने में ना हिचकिचाते। रही बात इस लौंडिया की... तो ये कल फिर इसी छोर पर छोरों संग खुले आम नैन-मटक्का करेगी। ये किस मुंह से नारी के सम्मान की बात कर रही है जो खुद पैसों के लिए मुजरे करती है! जब लोग इस लौंडिया से नारी के सम्मान के बारे में प्रवचन ले रहे थे, तब यही सब देख कर हंसी छूट पड़ी मेरी।
क्यों भूल रहे हो कि इस ठरकी लाले के कारण ही मल्लिका, पूनम और शर्लिन जैसियों की दुकानें चल रही हैं। आज जो बड़े नारी सम्मान का नारा लगा रहे हो, तब काहे ना रगड़े इस लाले को जब राखी-पूनम के फोटू परोस रहा था ये? तब तो बड़े टुकुर-टुकुर निहारे हो उनके फोटू को। लाले को उसके ठरकपन के लिए लाते लगाना अत्यंत आवश्यक तो था ही... पर इस उत्साह में ये नहीं भूलना चाहिए कि लड़की भी कोई दूध की ना धुलि हुई है।
और लड़की भी बस इसीलिए चिल्लाई की लाला ने पहले पैसे देने की बात तय नहीं करी ,
ReplyDeleteवरना वह तो जाने के लिए ही तो चौराहे पे खड़ी थी , पहले भी कितनो के साथ गयी , लेकिन सबने पैसे दिए , इसलिए चिल्ला चिल्ली नहीं मचाई।
अब चरित्रहीन है तो क्या फ्री में साथ जाएगी , छी छी छी.. सब लाला की गलती है
LOL