साथियों मैं बहुत समय से सोच रहा था कि आप सभी को आम आदमी पार्टी के जन्म के पूर्व की अत्यंत रोचक कहानी से अवगत कराऊँ। जिस प्रकार किसी ईश्वर (अल्ला-गॉड-भगवान) धरती पर अवतार भेजने के पूर्व ही लीला आरम्भ कर देते हैं, ठीक उसी प्रकार हमारे युगपुरुष ए. के. सर के इस धरा पर अवतरित होने के पूर्व ही सारी लीला प्रारंभ हो चुकी थी। तो पढ़िए इस दिव्य कथा को।
हाँ तो मित्रों और सहेलियों, हमारे युगपुरुष जी, जो कि अत्यंत 'आम आदमी' हैं, ने अवतरण से पहले ही विलक्षण प्रतिभावान कार्टूनिस्ट आर के लक्षमण जी को उनके स्वप्न में दर्शन दे कर उन्हें 'आम आदमी' अर्थात 'कॉमन मैन' के व्यंगचित्र बनाने की प्रेरणा दी थी। इसका ही फल था कि युगपुरुष जी के सक्रीय राजनीति में कूदने के पूर्व ही दशकों तक 'कॉमन मैन' ने लोगों का राजनीति तथा समसामयिक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। इसका श्रेय केवल हमारे युगपुरुष को जाता है। इसके पश्चात कई वर्षों तक विभिन्न बॉलीवुड कथा लेखकों, दिग्दर्शकों(डायरेक्टर) एवं निर्माताओं(प्रोडूसर) के स्वप्नों में धरने दे कर युगपुरुष ने उन्हें आम आदमी पर फिल्में बनाने की प्रेरणा दी। साथियों, ये सारे बॉलीवुड वाले पहले बिके हुए और भ्रष्ट थे। इनहें केवल ऐसी फिल्में बनानी थी जिसका नायक कोई धनवान और 'ख़ास आदमी' हो। आम आदमी को तो ये सब केवल विदूषक/कॉमेडियन और साइडकिक का ही रोल दिया करते थे। पुरानी फिल्मों में असरानी जी, मेहमूद जी, जगदीप जी(सूरमा भोपाली), केष्टो मुखर्जी, जॉनी वॉकर("सर जो तेरा चकराए, या दिल डूबा जाये" वाले) इत्यादि महान अभिनेताओं ने केवल आम आदमी का ही रोल निभाया है। हमारे युगपुरुष जी ने उनके स्वप्नों में धरने दे दे कर ही आम आदमी को नायक बनाने के लिए बाध्य किया। तत्पश्चात आम आदमी को नायक बनाया तो गया परन्तु सारे बॉलीवुड प्रोडूसर संघियों-भाजपाइयों से मिले होने के कारण, आम आदमी को सदैव हिंसक नायक ही बनाया गया। साथियों, ये इन संघियों की चाल थी, वे आम आदमी को हिंसा के लिए बाध्य करना चाहते थे, अपने जैसा भगवा गुंडे बनाना चाहते थे। परन्तु तुगपुरुष जी ने हार नहीं मानी, और निरंतर उनके सपनों में धरने देते रहे।
साथियों, युगपुरुष जी के निरंतर धरनों का ही असर था कि बॉलीवुड में एक दिन 'मुन्नाभाई एम बी बी एस' जैसी फिल्म बनी, जिसमें एक आम सा गुंडा भी सत्य और अहिंसा का मार्ग अपना लेता है। तत्पश्चात, युगपुरुष जी की पूर्ण कृपा से एक अभूतपूर्व फिल्म 'नायक' बनी, जिसमें आनेवाले दिनों में युगपुरुष जी क्या लीला दिखाएंगे यह दिखाया गया। यह फिल्म किसी भविष्यवाणी से कम ना थी। 'एक आम आदमी'बिना राजनीति के ज्ञान के किस प्रकार पूरे एक राज्य का हुलिया बदल कर रख देता है, यह दिखाया गया था। इसके पश्चात एक और फिल्म 'अ वेडनेसडे' में एक आम आदमी कितना चतुर हो सकता है इसका बखान किया गया।
साथियों, इन सब से यह सिद्ध होता है कि युगपुरुष जी के राजनीति में ताल ठोकने के पूर्व ही लोगों के मन में 'आम आदमी' के प्रति ना केवल सहानुभूति अपितु आशा एवं विश्वास भी प्रबल हो उठे थे। युगपुरुष जी ने अपनी माया से अपने राजनीति में आने के पूर्व ही 'आम आदमी' शब्द में असीम शक्ति भर दी थी। तब 'आम आदमी' सुन कर ही कोई भी साथ देने को आतुर हो उठता था। फिर एक शुभ दिन युगपुरुष जी की प्रेरणा से अन्ना हजारे जी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपना आंदोलन छेड़ा। कम ही लोग जानते हैं कि अन्ना जी ने यह आंदोलन भी युगपुरुष जी की प्रेरणा से दिल्ली में आरम्भ किया था; नहीं तो कितने वर्षों तक अन्ना जी केवल महाराष्ट्र तक सिमटे रहे थे! झूठ बोलते हैं वे जो कहते हैं की युगपुरुष जी ने अन्ना जी को धोखा दिया। ए के सर ने तो स्वयं अन्ना जी को आगे बढ़ाया और अंत में अन्ना जी के आंदोलन को सीढ़ी बना 'आम आदमी पार्टी' की स्थापना की। साथियों, युगपुरुष जी ने यह सारी लीला पहले ही रच रखी थी, अतएव यह कहना कि उन्होंने पहले से बनी 'आम आदमी' की छवि (इमेज) को भुनाया है या अन्ना जी को धोखा दिया है कतई मिथ्यारोप होगा।
आज भी आप देख सकते हैं कि युगपुरुष जी किस तन्मयता से 'आम आदमी' की छवि को बचाने में लगे हैं। वे भले ही एयरोप्लेन में यात्रा करें, परन्तु वे उसी प्रकार की ओवर-साइज्ड शर्ट को पतलून पर आउट-शर्ट कर के पहनते हैं। शर्ट-इन तो ख़ास आदमी करते हैं जी! वे सदा ही सैंडल पहनते हैं, जूते तो अडानी-अम्बानी के एजेंट पहनते हैं जी! और हाँ, मफलर! भाई, बन्दर-टोपा तो संघियों की निशानी है और ईयर-वार्मर तो भ्रष्ट या खास लोग ही पहनते हैं। इस प्रकार अनेक कठिनाइयों का सामना कर के भी युगपुरुष जी ने 'आम आदमी' की छवि पर आंच नहीं आने दी है।
साथियों कुछ लोग कहने लगे हैं 'आम आदमी' शब्द से जो सहानुभूति(सिम्पैथी) पैदा होती थी उसे अब युगपुरुष जी के कारण बट्टा लग चुका है; वे कहते हैं कि अब 'आम आदमी' शब्द सुनते ही थप्पड़ रसीद करने का मन करता है... साथियों, आप सब जान लें, कि ऐसा कहने वाले लोग कभी आम आदमी हो ही नहीं सकते। वो सब संघी-भाजपाई हैं, भ्रष्ट और बिके हुए हैं तथा अडानी-अम्बानी के एजेंट हैं। आज तक जितनी बार भी युगपुरुष जी को कंटाप लगाईं गयी है, वो केवल यही लोग हैं और युगपुरुष द्वारा ऐसे लोगों का ईमानदारी तथा 'आम आदमी' का लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। ये लोग ऐसे काम केवल इसलिए करते हैं क्योंकि बीजेपी वाले डर गए हैं जी। इनकी बातों में कदापि ना आएं। आप बस आम आदमी पार्टी को एक और मौका दे कर तो देखिये, तोते उड़ा देंगे जी, तोते!
जय चंदा, जय झाड़ू, जय अरविन्द, चंदे मातरम।
हाँ तो मित्रों और सहेलियों, हमारे युगपुरुष जी, जो कि अत्यंत 'आम आदमी' हैं, ने अवतरण से पहले ही विलक्षण प्रतिभावान कार्टूनिस्ट आर के लक्षमण जी को उनके स्वप्न में दर्शन दे कर उन्हें 'आम आदमी' अर्थात 'कॉमन मैन' के व्यंगचित्र बनाने की प्रेरणा दी थी। इसका ही फल था कि युगपुरुष जी के सक्रीय राजनीति में कूदने के पूर्व ही दशकों तक 'कॉमन मैन' ने लोगों का राजनीति तथा समसामयिक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया। इसका श्रेय केवल हमारे युगपुरुष को जाता है। इसके पश्चात कई वर्षों तक विभिन्न बॉलीवुड कथा लेखकों, दिग्दर्शकों(डायरेक्टर) एवं निर्माताओं(प्रोडूसर) के स्वप्नों में धरने दे कर युगपुरुष ने उन्हें आम आदमी पर फिल्में बनाने की प्रेरणा दी। साथियों, ये सारे बॉलीवुड वाले पहले बिके हुए और भ्रष्ट थे। इनहें केवल ऐसी फिल्में बनानी थी जिसका नायक कोई धनवान और 'ख़ास आदमी' हो। आम आदमी को तो ये सब केवल विदूषक/कॉमेडियन और साइडकिक का ही रोल दिया करते थे। पुरानी फिल्मों में असरानी जी, मेहमूद जी, जगदीप जी(सूरमा भोपाली), केष्टो मुखर्जी, जॉनी वॉकर("सर जो तेरा चकराए, या दिल डूबा जाये" वाले) इत्यादि महान अभिनेताओं ने केवल आम आदमी का ही रोल निभाया है। हमारे युगपुरुष जी ने उनके स्वप्नों में धरने दे दे कर ही आम आदमी को नायक बनाने के लिए बाध्य किया। तत्पश्चात आम आदमी को नायक बनाया तो गया परन्तु सारे बॉलीवुड प्रोडूसर संघियों-भाजपाइयों से मिले होने के कारण, आम आदमी को सदैव हिंसक नायक ही बनाया गया। साथियों, ये इन संघियों की चाल थी, वे आम आदमी को हिंसा के लिए बाध्य करना चाहते थे, अपने जैसा भगवा गुंडे बनाना चाहते थे। परन्तु तुगपुरुष जी ने हार नहीं मानी, और निरंतर उनके सपनों में धरने देते रहे।
साथियों, युगपुरुष जी के निरंतर धरनों का ही असर था कि बॉलीवुड में एक दिन 'मुन्नाभाई एम बी बी एस' जैसी फिल्म बनी, जिसमें एक आम सा गुंडा भी सत्य और अहिंसा का मार्ग अपना लेता है। तत्पश्चात, युगपुरुष जी की पूर्ण कृपा से एक अभूतपूर्व फिल्म 'नायक' बनी, जिसमें आनेवाले दिनों में युगपुरुष जी क्या लीला दिखाएंगे यह दिखाया गया। यह फिल्म किसी भविष्यवाणी से कम ना थी। 'एक आम आदमी'बिना राजनीति के ज्ञान के किस प्रकार पूरे एक राज्य का हुलिया बदल कर रख देता है, यह दिखाया गया था। इसके पश्चात एक और फिल्म 'अ वेडनेसडे' में एक आम आदमी कितना चतुर हो सकता है इसका बखान किया गया।
साथियों, इन सब से यह सिद्ध होता है कि युगपुरुष जी के राजनीति में ताल ठोकने के पूर्व ही लोगों के मन में 'आम आदमी' के प्रति ना केवल सहानुभूति अपितु आशा एवं विश्वास भी प्रबल हो उठे थे। युगपुरुष जी ने अपनी माया से अपने राजनीति में आने के पूर्व ही 'आम आदमी' शब्द में असीम शक्ति भर दी थी। तब 'आम आदमी' सुन कर ही कोई भी साथ देने को आतुर हो उठता था। फिर एक शुभ दिन युगपुरुष जी की प्रेरणा से अन्ना हजारे जी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अपना आंदोलन छेड़ा। कम ही लोग जानते हैं कि अन्ना जी ने यह आंदोलन भी युगपुरुष जी की प्रेरणा से दिल्ली में आरम्भ किया था; नहीं तो कितने वर्षों तक अन्ना जी केवल महाराष्ट्र तक सिमटे रहे थे! झूठ बोलते हैं वे जो कहते हैं की युगपुरुष जी ने अन्ना जी को धोखा दिया। ए के सर ने तो स्वयं अन्ना जी को आगे बढ़ाया और अंत में अन्ना जी के आंदोलन को सीढ़ी बना 'आम आदमी पार्टी' की स्थापना की। साथियों, युगपुरुष जी ने यह सारी लीला पहले ही रच रखी थी, अतएव यह कहना कि उन्होंने पहले से बनी 'आम आदमी' की छवि (इमेज) को भुनाया है या अन्ना जी को धोखा दिया है कतई मिथ्यारोप होगा।
आज भी आप देख सकते हैं कि युगपुरुष जी किस तन्मयता से 'आम आदमी' की छवि को बचाने में लगे हैं। वे भले ही एयरोप्लेन में यात्रा करें, परन्तु वे उसी प्रकार की ओवर-साइज्ड शर्ट को पतलून पर आउट-शर्ट कर के पहनते हैं। शर्ट-इन तो ख़ास आदमी करते हैं जी! वे सदा ही सैंडल पहनते हैं, जूते तो अडानी-अम्बानी के एजेंट पहनते हैं जी! और हाँ, मफलर! भाई, बन्दर-टोपा तो संघियों की निशानी है और ईयर-वार्मर तो भ्रष्ट या खास लोग ही पहनते हैं। इस प्रकार अनेक कठिनाइयों का सामना कर के भी युगपुरुष जी ने 'आम आदमी' की छवि पर आंच नहीं आने दी है।
साथियों कुछ लोग कहने लगे हैं 'आम आदमी' शब्द से जो सहानुभूति(सिम्पैथी) पैदा होती थी उसे अब युगपुरुष जी के कारण बट्टा लग चुका है; वे कहते हैं कि अब 'आम आदमी' शब्द सुनते ही थप्पड़ रसीद करने का मन करता है... साथियों, आप सब जान लें, कि ऐसा कहने वाले लोग कभी आम आदमी हो ही नहीं सकते। वो सब संघी-भाजपाई हैं, भ्रष्ट और बिके हुए हैं तथा अडानी-अम्बानी के एजेंट हैं। आज तक जितनी बार भी युगपुरुष जी को कंटाप लगाईं गयी है, वो केवल यही लोग हैं और युगपुरुष द्वारा ऐसे लोगों का ईमानदारी तथा 'आम आदमी' का लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। ये लोग ऐसे काम केवल इसलिए करते हैं क्योंकि बीजेपी वाले डर गए हैं जी। इनकी बातों में कदापि ना आएं। आप बस आम आदमी पार्टी को एक और मौका दे कर तो देखिये, तोते उड़ा देंगे जी, तोते!
जय चंदा, जय झाड़ू, जय अरविन्द, चंदे मातरम।
अच्छा हे..
ReplyDelete