शार्लि हेब्दो की घटना पर सेक्युलर प्रतिक्रिया किस प्रकार व्यक्त करे

साथियों आज हम बात करेंगे पेरिस में हुए शार्ली हेब्दों नामक पत्रिका पर हुए दुखद आतंकवादी हमले की तथा उससे सम्बंधित आये कथनों की। यह घटना दुखद है और हम सभी को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए। विरोध में अपने फेसबुक तथा ट्विटर के प्रोफाइल इमेज भी बदल कर काले कर लेना चाहिए, तथा जहाँ तहाँ "आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता" कहते फिरना चाहिए। यदि हो सके तो एक-दो मोमबत्ती मार्च का भी आयोजन करना चाहिए। इस प्रकार ना केवल हम सेकुलरिज्म की रक्षा कर पाएंगे, अपितु लगे हाथ पार्ट-टाइम क्रांति भी पसारेंगे। परन्तु साथियों, सेकुलरिज्म का झंडा हम तब तक ऊंचा नहीं कर पाएंगे जबतक भगवा आतंकवादियों और संघी-भाजपाइयों को इन  आतंकवादी घटनाओं से जोड़ कर उन्हें गरिया ना दें। इस दिशा में अति सेक्युलर सागरिका घोष जी, अति ज्ञानी सेक्युलर शिरोमणि मणिशंकर अय्यर तथा अन्य सेक्युलराधीशों के विशेष योगदान का आज उल्लेख करना अत्यावश्यक है, ताकि भारत की युवा सेक्युलर जनता इनसे प्रेरणा ले कर चहुँओर स्कुलरापा पसराये।

सर्वप्रथम इस बात पर ध्यान दें कि शार्लि हेब्दों जैसी घटनाओं पर अपने सेक्युलर विचार व्यक्त करने के पूर्व पूर्णतया भूल जाएँ कि आपने पहले कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अर्थात फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन पर ज्ञान पेला था। निर्भीक हो कर सेकुलरता का झंडा लहराइये। इसका सर्वोत्कृष्ट उदाहरण इस कन्या के यह वचन हैं -


तत्पश्चात पहले प्रेस के निर्भीक होने की आवश्यकता पर ध्यानाकर्षित करें। निर्भीक होना ही तो परम आवश्यक गुण है! यदि आप सेक्युलर हैं तो समझदारी की आवश्यकता किसे है! इसका सर्वोत्कृष्ट उदाहरण सागरिका घोष जी हैं। सभी सेक्युलर-ज्ञान के इच्छुकों ने इस निडर-निर्भीक सेक्युलर नारी से प्रेरणा लेना चाहिए।


जब आप सफलतापूर्वक प्रेस का समझदारी के वायरस से पीछा छुड़ा चुके हों तब दूसरा पग बढ़ाएं - संसार में जो भी नकारात्मक घटना घटे, उसकी तुलना भारत तथा हिन्दुओं से करें। फिर चाहे वह शार्लि हेब्दों पर हमले की घटना हो या अफ्रीका में इबोला का संक्रमण, हर बात पर भगवा आतंकवादियों को कोसने पर ही आप अपनी सेक्युलर छवि को उज्जवल बनाये रख सकते हैं। तर्क/लॉजिक का इस सब से कोई सम्बन्ध नहीं।


इस क्रम में चाहें तो आप आतंकवादियों के कूकृत्य की निंदा करने की अपेक्षा अपना ध्यान इस बात कर केंद्रित कर सकते हैं कि आतंकवादियों ने क्यों हमला किया। आतंकवादियों की भावनाओं को किसने और क्यों आहत किया था यह विषय अत्यधिक महत्वपूर्ण है। बाकी आतंकवादियों ने आहत मन से कितनों की रसीद काट दी इसपर चर्चा निरर्थक है। - इस उपाय से आप सेक्युलर के साथ साथ बुद्धिजीवी होने का प्रमाणपत्र भी पा जायेंगे। उदाहरणार्थ -


अंत में सेकुलरता के चरमोत्कर्ष को प्राप्त करते हुए ऐसी किसी भी आतंकवादी घटना को दूसरी दमनकारी घटनाओं का स्वाभाविक प्रतिउत्तर बता कर आतंकवादियों को पूर्णतया दोषमुक्त कर दें तथा आतंकी घटना से क्षतिग्रस्त जनों को ही उत्तरदायी ठहराएं। ऐसा करने से आप सेक्युलर-शिरोमणि की उपाधि प्राप्त कर लेंगे। इस पुण्यकर्म का अतिसुन्दर उदाहरण श्री मणिशंकर अय्यर जी ने दिया। इनके अनुसार पेरिस की आतंकवादी घटना विश्वभर में  दमनकारी घटनाओं का प्रत्युत्तर थी। अपनी बात को अधिक सुदृढ़ करते हुए उन्होंने फ्रांसीसी सरकार पर अपने यहाँ किसी भी धर्म सूचक चिन्ह का सार्वजनिक स्थानों में प्रयोग पर रोक लगाने को इस घटना से जोड़ दिया। अब ये अलग बात है कि स्वयं आतंकवादियों ने इस घटना का मुख्य उद्देश्य व्यंगचित्रों/कार्टूनों पर अपना क्रोध प्रकट करना बताया था। पर उसकी चिंता ना करिये, याद रखिये - तर्कपूर्ण होने से कहीं श्रेयस्कर है सेक्युलर होना।


निम्नलिखित संयुक्तियों(टिप्स) का पालन करने से आप स्वयं को बुद्धिजीवी/इंटेलेक्चुअल  तथा धर्म निरपेक्ष/सेक्युलर क्लब में प्रवेश दिलवाने में उत्तीर्ण हो पाएंगे। मित्रों, समझदारी तथा देशप्रेम जैसे तुच्छ भावनाओं से ऊपर उठिए… सेक्युलर होना ही अत्यंत श्रेष्ठ गुण है। 
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