मित्रों, सहेलियों और 'विशेष' बंधुओं,
आज माननीय उच्चतम न्यायलय की कृपा से वह पावन क्षण आ ही गया जब समस्त किन्नर समाज ने भेदभाव से मुक्ति की ओर पहला सुदृढ़ पग बढ़ाया है। आज किन्नर समाज को तृतीय लिंग की मान्यता प्राप्त हुई है। साथ ही माननीय उच्चतम न्यायलय नें सरकार को इन्हें सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की तरह संरक्षण एवं आरक्षण देने के निर्देश दिए हैं। इस शुभ अवसर पर समस्त किन्नर समाज को हमारी ओर से बधाईयां।
किन्नर वर्ग सही अर्थों में अल्पसंख्यक समुदाय है। अब जब किन्नर समाज को 'अन्य पिछड़े वर्ग' में मान्यता मिल रही है तो इसके अनेक दूरगामी राजनैतिक प्रभाव भी होंगे। उदाहरणार्थ अपने आप को अल्पसंख्यकों के मसीहा जतलाने वाले नेतागण अब ना केवल इनसे वोट की गुहार लगाते दिखेंगे, अपितु अपने यहाँ की शादियों-शुभ अवसरों में किन्नरों को विशेष आसन पर बिठा, उनके समक्ष 'ताक-धिन' ठुमके भी लगायेंगे। यदि कोई किन्नर बंधू इनके या इनके किसी प्रियजन से संग कोई 'गलती' करने की इच्छा प्रकट करे तो ये तनिक देरी किये बिना अपनी एवं अपने प्रियजनों के 'स्थानविशेष' उनके समक्ष प्रस्तुत कर देंगे।
वैसे इन अल्पसंख्यक उद्धारक 'नेता जी' से कहीं अधिक अपनत्व किन्नर समाज पिछड़े वर्ग की तारिणी 'बहन जी' से अनुभव करेगा। बहन जी अपने अति आकर्षक व्यक्तित्व एवं सुंदरता के कारण सहज ही किन्नर बंधुओं की टोली में ऐसे घुल मिल जाएंगी जैसे सागर में नदिया। परन्तु नेता जी और बहन जी, दोनों की ही भ्रष्ट राजनीति से किन्नर समाज का रक्षण करते हुए लोकपाल वाले श्री खुजलीवाल एवं कविराज कुमार बकवास जी 'पप्पियों एवं झप्पियों' की किन्नर बंधुओं पर वर्षा कर देंगे। वैसे उच्चतम न्यायलय के इस आदेश से सबसे अधिक प्रसन्नचित्त दिखने वाले हमारे कविवर ही हैं, कारणों का आप स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। साथ ही महाधुरन्दर योगिराज योगेन्द्र यादव जी भी सोलह श्रृंगार के साथ किन्नर समाज की जनसभाओं को सम्बोधित करते हुए 'खुलासा' करते दिखेंगे कि कैसे बचपन में उनके पिताजी नें उनका लिंग परिवर्तन करवा दिया था, और केवल निकट एवं घनिष्ट मित्र एवं सम्बन्धी ही उनका यह रहस्य जानते हैं।
इन सबसे पृथक राज दुलारे पप्पू बाबा भी इस विशेष समाज को आलिंगन देने में पीछे नहीं रहेंगे। वे किसी दीन किन्नर की कुटिया में खाना भी खाएंगे और रात भी बिताएंगे, और सवेरे लंगड़ाते हुए बाहर आ कर सबको बताएँगे की उच्चतम न्यायलय के इस आदेश के पीछे उनका कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कभी कोई ऐसा सेक्युलर नेता भी आएगा जो भारतीय सेना में किन्नर समुदाय के योगदान और उनकी वीर गाथाओं का बखान करेगा।
अंततोगत्वा कोई 'मोदी' आएगा जो किन्नर समाज को विकास की मार्ग पर ले जाने की बातें करेगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास करने के आश्वासन भी देगा, परन्तु नेता जी, बहन जी, राजकुमार पप्पू बाबा, श्रीमान खुजलीवाल, कविराज एवं अन्य एकजुट हो कर किन्नर समाज को ये विश्वास दिलाने में जुट जायेंगे कि मोदी जैसे 'भगवा आतंकवादी' किन्नर समाज को विनाश की ओर धकेल देंगे और कैसे गुजरात में इस समुदाय को डर की छाँव में जीना पड़ता है...कि कैसे ये मनुवादी दल केवल पुरुषों एवं महिलाओं का ही पक्षधर है... कि ये भ्रष्ट हैं और उद्योगपतियों के हाथों बिके हुए हैं... कि कैसे विकास नहीं, अपितु केवल लिंगभेद ही उनका मुद्दा होना चाहिए। वैसे उच्चतम ब्यायालय के इस आदेश से मीडियाकर्मी, जैसे पुण्य प्रसून बाजपाई, भी अति उत्साहित प्रतीत हो रहे हैं। आख़िरकार अब उन्हें भी अपने असली लिंग को जगजाहिर करने का अवसर मिलेगा। आजकल वो 'क्रन्तिकारी, बहुत ही क्रांतिकारी" मन्त्र का जाप करते हुए अपनी प्रसन्नता दर्शाते नज़र आ रहे हैं।
कुल मिला कर किन्नर समाज को तृतीय लिंग की मान्यता दे कर माननीय उच्चतम न्यायलय ने भारतीय राजनीति में एक नये अध्याय का शुभारंभ किया है, जो कि अति प्रशंसनीय है।
हास्य-व्यंग अपनी जगह, परन्तु उच्चतम न्यायलय का यह आदेश प्रशंसा का पात्र है। अगर इस आलेख से किसी किन्नर बंधू या किसी अन्य की भावनाएं आहत हुई हों तो मैं करबद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ। पुरुष, स्त्री अथवा किन्नर - सभी को सामान अधिकार एवं सम्मानपूर्वक जीने के अवसर मिले, इस बात के हम सदैव ही पक्षधर रहे हैं।
आज माननीय उच्चतम न्यायलय की कृपा से वह पावन क्षण आ ही गया जब समस्त किन्नर समाज ने भेदभाव से मुक्ति की ओर पहला सुदृढ़ पग बढ़ाया है। आज किन्नर समाज को तृतीय लिंग की मान्यता प्राप्त हुई है। साथ ही माननीय उच्चतम न्यायलय नें सरकार को इन्हें सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की तरह संरक्षण एवं आरक्षण देने के निर्देश दिए हैं। इस शुभ अवसर पर समस्त किन्नर समाज को हमारी ओर से बधाईयां।
किन्नर वर्ग सही अर्थों में अल्पसंख्यक समुदाय है। अब जब किन्नर समाज को 'अन्य पिछड़े वर्ग' में मान्यता मिल रही है तो इसके अनेक दूरगामी राजनैतिक प्रभाव भी होंगे। उदाहरणार्थ अपने आप को अल्पसंख्यकों के मसीहा जतलाने वाले नेतागण अब ना केवल इनसे वोट की गुहार लगाते दिखेंगे, अपितु अपने यहाँ की शादियों-शुभ अवसरों में किन्नरों को विशेष आसन पर बिठा, उनके समक्ष 'ताक-धिन' ठुमके भी लगायेंगे। यदि कोई किन्नर बंधू इनके या इनके किसी प्रियजन से संग कोई 'गलती' करने की इच्छा प्रकट करे तो ये तनिक देरी किये बिना अपनी एवं अपने प्रियजनों के 'स्थानविशेष' उनके समक्ष प्रस्तुत कर देंगे।
वैसे इन अल्पसंख्यक उद्धारक 'नेता जी' से कहीं अधिक अपनत्व किन्नर समाज पिछड़े वर्ग की तारिणी 'बहन जी' से अनुभव करेगा। बहन जी अपने अति आकर्षक व्यक्तित्व एवं सुंदरता के कारण सहज ही किन्नर बंधुओं की टोली में ऐसे घुल मिल जाएंगी जैसे सागर में नदिया। परन्तु नेता जी और बहन जी, दोनों की ही भ्रष्ट राजनीति से किन्नर समाज का रक्षण करते हुए लोकपाल वाले श्री खुजलीवाल एवं कविराज कुमार बकवास जी 'पप्पियों एवं झप्पियों' की किन्नर बंधुओं पर वर्षा कर देंगे। वैसे उच्चतम न्यायलय के इस आदेश से सबसे अधिक प्रसन्नचित्त दिखने वाले हमारे कविवर ही हैं, कारणों का आप स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। साथ ही महाधुरन्दर योगिराज योगेन्द्र यादव जी भी सोलह श्रृंगार के साथ किन्नर समाज की जनसभाओं को सम्बोधित करते हुए 'खुलासा' करते दिखेंगे कि कैसे बचपन में उनके पिताजी नें उनका लिंग परिवर्तन करवा दिया था, और केवल निकट एवं घनिष्ट मित्र एवं सम्बन्धी ही उनका यह रहस्य जानते हैं।
इन सबसे पृथक राज दुलारे पप्पू बाबा भी इस विशेष समाज को आलिंगन देने में पीछे नहीं रहेंगे। वे किसी दीन किन्नर की कुटिया में खाना भी खाएंगे और रात भी बिताएंगे, और सवेरे लंगड़ाते हुए बाहर आ कर सबको बताएँगे की उच्चतम न्यायलय के इस आदेश के पीछे उनका कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कभी कोई ऐसा सेक्युलर नेता भी आएगा जो भारतीय सेना में किन्नर समुदाय के योगदान और उनकी वीर गाथाओं का बखान करेगा।
अंततोगत्वा कोई 'मोदी' आएगा जो किन्नर समाज को विकास की मार्ग पर ले जाने की बातें करेगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास करने के आश्वासन भी देगा, परन्तु नेता जी, बहन जी, राजकुमार पप्पू बाबा, श्रीमान खुजलीवाल, कविराज एवं अन्य एकजुट हो कर किन्नर समाज को ये विश्वास दिलाने में जुट जायेंगे कि मोदी जैसे 'भगवा आतंकवादी' किन्नर समाज को विनाश की ओर धकेल देंगे और कैसे गुजरात में इस समुदाय को डर की छाँव में जीना पड़ता है...कि कैसे ये मनुवादी दल केवल पुरुषों एवं महिलाओं का ही पक्षधर है... कि ये भ्रष्ट हैं और उद्योगपतियों के हाथों बिके हुए हैं... कि कैसे विकास नहीं, अपितु केवल लिंगभेद ही उनका मुद्दा होना चाहिए। वैसे उच्चतम ब्यायालय के इस आदेश से मीडियाकर्मी, जैसे पुण्य प्रसून बाजपाई, भी अति उत्साहित प्रतीत हो रहे हैं। आख़िरकार अब उन्हें भी अपने असली लिंग को जगजाहिर करने का अवसर मिलेगा। आजकल वो 'क्रन्तिकारी, बहुत ही क्रांतिकारी" मन्त्र का जाप करते हुए अपनी प्रसन्नता दर्शाते नज़र आ रहे हैं।
कुल मिला कर किन्नर समाज को तृतीय लिंग की मान्यता दे कर माननीय उच्चतम न्यायलय ने भारतीय राजनीति में एक नये अध्याय का शुभारंभ किया है, जो कि अति प्रशंसनीय है।
हास्य-व्यंग अपनी जगह, परन्तु उच्चतम न्यायलय का यह आदेश प्रशंसा का पात्र है। अगर इस आलेख से किसी किन्नर बंधू या किसी अन्य की भावनाएं आहत हुई हों तो मैं करबद्ध क्षमाप्रार्थी हूँ। पुरुष, स्त्री अथवा किन्नर - सभी को सामान अधिकार एवं सम्मानपूर्वक जीने के अवसर मिले, इस बात के हम सदैव ही पक्षधर रहे हैं।
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