योगेन्द्र यादव पर क्यों हुआ आम आदमी पार्टी के झाड़ू का वार?


मित्रों और सहेलियों, जैसा कि आप जानते ही होंगे कि इन दिनों योगेन्द्र यादव जी, जिन्हें 'सलीम' के नाम से भी जाना जाता है, पर आम आदमी पार्टी की आतंरिक अनुशासन देखने वाले दल का कोप भाजन (प्रे टू एंगर) बनना पड़ रहा है। अब अडानी और अम्बानी के हाथों बिके हुए इन संघी पत्रकारों को अवसर मिल गया है अनर्गल भ्रम फैलाने का तो वे अपनी कुटिल बुद्धि दौड़ा दौड़ा कर एक से बढ़कर एक मिथ्यारोप लगा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी में केवल युगपुरुष अरविन्द केजरीवाल की हिटलरशाही चलती है। पहले तो बता दिया जाये कि आम आदमी पार्टी पूर्णतया लोकतान्त्रिक पार्टी है, जिसमे हम सब मिल कर सर्वसम्मति से आँख मूँद कर युगपुरुष जी की हाँ में हाँ मिलाते हैं। और दुसरे ये कि क्या हुआ यदि युगपुरुष जी की डिक्टेटरशिप चलती भी हो तो? युगपुरुष सर्वज्ञ हैं...उनकी बुद्धि अति विलक्षण है, और तो और उनके पास हरी चटनी वाले निर्मल बाबाजी का दिया हुआ निर्मल वरदान स्वरूप दिव्य दृष्टि भी है। यदि कोई ऐसा दिव्य पुरुष किसी पार्टी पर एकछत्र राज्य चलाये तो इसमें बुरा ही क्या है? शीघ्र ही दिल्ली पर युगपुरुष की कृपा बरसेगी...उसके पश्चात पूरा देश यही कामना करेगा कि काश सम्पूर्ण भारत पर युगपुष् जी का सेक्युलर तथा भ्रष्टाचार रहित एकछत्र राज्य स्थापित हो...देख लेना! पर मूल विषय यह है कि यह पूर्णतया मिथ्यारोप है कि दिव्य दाढ़ी वाले तथा घनघोर सेक्युलर योगेन्द्र यादव जी को केवल मतभेदों तथा विद्रोह के कारण आम आदमी पार्टी के अनुशासन कमिटी का रोष झेलना पड़ रहा है... वे तो केवल 'क्वारन्टीन'/एकांतवास में भेजे गए हैं। क्वारन्टीन? जी हाँ। हम आज युगपुरुष केजरीवाल जी तथा निर्मल बाबा जी की असीम कृपा से एक और ताज़ा-ताज़ा गरमा-गरम धमाकेदार खुलासा करने जा रहे हैं। तो ध्यानपूर्वक पढियेगा।

बात तब हमारे ध्यान में आई जब एक एक कर के आम आदमी पार्टी के दिव्य सेक्युलर तथा सत्यनिष्ठ/ईमानदार नेतागण पार्टी को ना केवल छोड़ने लगे अपितु ये सब इन भगवा आतंकवादी संघी-भाजपाइयों में शामिल होने लगे। हमने आ आ पा के सारे क्रन्तिकारी गुप्तचरों को दसों दिशाओं में बिखेर दिया ताकि ये पता लगाया जा सके कि आखिर इन संघियों ने ऐसा क्या काला जादू सीख लिया है जिसके बल पर ये एक एक कर हमारे ईमानदारी एवं सेक्युलरता के प्रतीक नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को सांप्रदायिक तथा भ्रष्ट संघियों में बदल पा रहे हैं। साथियों, आपियों की गिद्धों सी तीक्ष्ण एवं दिव्य दृष्टि से बच पाना कठिन ही नहीं असंभव है! शीघ्र ही हमारे गुप्तचर इस बात की जड़ तक पहुँच गए तथा कारणों का पता लगा लिया।

योगेन्द्र यादव जी पर किये गए काले जादू के प्रयोग का प्रमाण 

साथियों, आपियों के पास श्वानों की नाक से भी अधिक तीव्र नाक होती है जिससे वे किसी भी षडयंत्र की दुर्गन्ध को निमिष मात्र में पहचान लेते हैं (तथा श्वानों से अधिक लम्बी जिह्वा होती है जिससे वे पूरी निपुणता से प्रयोग करते हैं)। इस विषय की भी जाँच करने पर आपिये गुप्तचर झट इस षडयंत्र की दुर्गन्ध पा गए और पहुँच गए उस छिपे हुए ठिकाने पर जहाँ इन संघियों का 'गुप्त प्रयोग' चल रहा था। जी हाँ साथियों, आपने ठीक पढ़ा...गुप्त प्रयोग! ... (अबे, गुप्त-रोग नहीं, प्रयोग! गुप्त प्रयोग! कोई कुछ गलत मत पढ़ लेना) (जिसका चंद्र'गुप्त' मौर्य से कोई लेना देना नहीं!) हम सब जानते हैं कि किस प्रकार से अनजाने में किया गया 'जुमले' का प्रयोग चर्चा का विषय बन जाता है। जैसा कि आपने अभी कुछ समय पूर्व यहीं पर 'काले जादू' का जुमला पढ़ा था...साथियों, यही जुमला सत्य हो गया। जब आपिये गुप्तचर इन भगवा आतंकवादी संघियों के काली पहाड़ी के पीछे वाली खाई में बनी सुरंग से होते हुए अनजान दुर्गम टापू पर बने गुप्त मुख्यालय पहुँचे तो पाया कि इन संघियों ने तांत्रिकों और वैज्ञानिकों को काम पर लगाया हुआ था। इन्ही के बल पर सारे आपियों पर धीरे-धीरे माइंड कंट्रोल किया जा रहा था। अब आप जानने के लिए उत्सुक होंगे कि यह कैसे संभव है। तो इसका भी खुलासा किया जा रहा है। साथियों, आपने एक अति पुरातन जुमला तो सुना ही होगा, कि जब कोई किसी अप्रिय गुण से ग्रसित हो तब सतयुग में लोग इसे 'पृष्ठभाग/गुदा में उस गुण कीड़े होने' का जुमला कहते थे। कालांतर में भाषा भ्रष्ट होने के कारण आजकल लोग क्रुद्ध होने पर दूसरे को कहते हैं "बहुत कीड़े भर गए हैं तेरी गाँ& में!"(छी छी छी! कितनी अभद्र भाषा हो गयी है लोगों की!)… तो साथियों वैज्ञानिकों ने पाया कि यह जुमला भी केवल जुमला ना हो कर एक गूढ़ पुरातन वैज्ञानिक-तांत्रिक प्रयोग था, जिसे कालांतर में भुला दिया गया था। होता यूँ था कि षडयंत्रकारी किसी गुणविशेष के कीड़ों का किसी प्रकार अपने शत्रु के 'स्थानविशेष' में प्रवेश करवा देते थे। जब ये कीड़े स्थानविशेष से होते हुए मस्तिष्क तक पहुँच जाते थे, तब तांत्रिक इन कीड़ों की सहायता से शत्रु के मस्तिष्क पर नियंत्रण पा जाते थे तथा उसे भ्रष्ट कर देते थे। किसी एक के मस्तिष्क पर नियंत्रण पाने के पश्चात उस व्यक्ति के समीप दूसरे लोगों पर यह काला जादू किसी महामारी की भांति फैलने लगता है। इसी प्रकार यह मस्तिष्क-नियंत्रण प्रयोग महान आपियों के मस्तिष्क को भी कम्युनल तथा भ्रष्ट करता जा रहा है। वह तो समय रहते युगपुरुष जी की जाँच हो गयी, नहीं तो संक्रमण स्वयं ए.के. सर के सर तक पहुँचने ही वाला था। झटपट युगपुरुष जी को बंगलुरु भेजा गया। भगवान-गॉड-अल्ला ना करे, पर यदि काले जादू का संक्रमण युगपुरुष जी तक पहुँच गया होता तो सत्यनिष्ठता तथा सेकुलरिज्म तो अनाथ हो जाते! अब इसी समस्या से निपटने के लिए योगेन्द्र यादव जी को एकांतवास के लिए भेजा जाना तय हुआ है। इस एकांतवास के समय योगेन्द्र जी 'गॉड इज़ वन' के महामंत्र का अधिकाधिक जाप करेंगे तथा सत्यनिष्ठ/ईमानदार डॉक्टर्स तथा सेक्युलर तांत्रिक मिलकर इनका उपचार करेंगे। अब साथियों, आप तो जानते ही हैं कि तांत्रिक बाबा जी लोग अपने तांत्रिक कार्यक्रमों में झाड़ू का भी प्रयोग करते हैं। एक ओर झाड़ू, दूसरी ओर एनिमा… इन सारे कीड़ों को कुछ ही दिनों में झड़ा दिया जायेगा। अब तो युगपुरुष जी भी वापस आ गए हैं, अब देखिएगा कैसे पूरी पार्टी की बैंड बजा... अररर मेरा मतलब है पूरी पार्टी को पुनः पटरी पर ला देंगे।

जय चंदा। जय झाड़ू। जय अरविन्द।
चंदे मातरम। 
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