मित्रों और सहेलियों, तथा कुमार विश्वास जी की श्रेणी के साथियों,
आज बड़ा ही पावन दिन है, इतना पावन कि क्या कहें! आज ही के दिन इस संसार में एक अलौकिक-दिव्य-महान-ग्यानी-दूरदृष्टा-अति विशेष प्रतिभावान एवं चरम सत्यवादी बालक का जन्म हुआ। ये ऐसा बालक था कि सर्वशक्तिमान भगवान ने इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के बस एक दिन बाद केवल ये बताने के लिए जन्म दिया कि यही आगे चल कर 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' लड़ेगा, और इस बार ना तीर-तलवार-बन्दूक और ना ही गांधी के जैसे सत्याग्रह होंगे… इस बार हथियार एकदम नया होगा - रायता! जी हाँ, ये वही बालक है जिसका नाम अरविन्द केजरीवाल उर्फ़ ए के रखा गया, इस बालक को आप आज 'युगपुरुष' के नाम से जानते हैं!
ये आपस में मिले हुए कोंग्रेसी और संघी-भाजपाई चाहे कुछ भी बोल लें, पर क्या यह सत्य नहीं है कि जैसा युगपुरुष जी ने प्रारम्भ में ही कहा था कि हम नए तरह की राजनीति करने आये हैं, ठीक वैसा ही किया? एक अत्यंत गूढ़ और रहस्य्मयी ढंग की राजनीति ले कर आये - रायता फैलाऊ राजनीति! रायता फैलाएं और फिर वहां से निकल लें, बस! फिर देखिये फ्री की पब्लिसिटी कैसे मिलती है। हमारे युगपुरुष जी ने इतने यु-टर्न मारे कि लोग यु-टर्न से साइन-बोर्ड को हमारी आआपा यानि आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह घोषित करने की मांग कर डाली। अब वैसे ही यह साइन बोर्ड जहाँ तहँ रोड पर दिख जाता है - हो गई ने फिर से फ्री की पब्लिसिटी! देखा! है ना हमारे युगपुरुष जी का मस्तिष्क सुपर-सोनिक!
युगपुरुष जी के अवतरण दिवस… अरे बंधू, जन्म-दिवस तो ख़ास लोगों का मनाया जाता है…हमारे युगपुरुष जी तो विलक्षण प्रतिभा के धनि 'आम आदमी' हैं!… हाँ तो हम क्या कह रहे थे? हाँ, युगपुरुष जी के अवतरण दिवस के अवसर पर आम आदमी पार्टी के बाहर हम आपियों ने एक आम रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें दिल खोल कर हर एक आपिये ने युगपुरुष जी की प्रेरणा से अपने रायता फैलाने की कला का प्रदर्शन किया। जगह जगह, रस्ते पर आते-जाते लोगों को रोक कर रायता फैलाया गया। 'रायता-फैलाऊ' प्रतियोगिता की 'घोसड़ा' करते हमारे प्रिय, आदरणीय एवं अनुकरणीय श्री श्री केजरीवाल जी की ये छायाचित्र अर्थात फोटो देखिये ( कितने डायनामिक लग रहे हैं नहीं? सच! किसी की नजर ना लग जाए, हाय अल्ला!)
आज बड़ा ही पावन दिन है, इतना पावन कि क्या कहें! आज ही के दिन इस संसार में एक अलौकिक-दिव्य-महान-ग्यानी-दूरदृष्टा-अति विशेष प्रतिभावान एवं चरम सत्यवादी बालक का जन्म हुआ। ये ऐसा बालक था कि सर्वशक्तिमान भगवान ने इसे भारत के स्वतंत्रता दिवस के बस एक दिन बाद केवल ये बताने के लिए जन्म दिया कि यही आगे चल कर 'आज़ादी की दूसरी लड़ाई' लड़ेगा, और इस बार ना तीर-तलवार-बन्दूक और ना ही गांधी के जैसे सत्याग्रह होंगे… इस बार हथियार एकदम नया होगा - रायता! जी हाँ, ये वही बालक है जिसका नाम अरविन्द केजरीवाल उर्फ़ ए के रखा गया, इस बालक को आप आज 'युगपुरुष' के नाम से जानते हैं!
ये आपस में मिले हुए कोंग्रेसी और संघी-भाजपाई चाहे कुछ भी बोल लें, पर क्या यह सत्य नहीं है कि जैसा युगपुरुष जी ने प्रारम्भ में ही कहा था कि हम नए तरह की राजनीति करने आये हैं, ठीक वैसा ही किया? एक अत्यंत गूढ़ और रहस्य्मयी ढंग की राजनीति ले कर आये - रायता फैलाऊ राजनीति! रायता फैलाएं और फिर वहां से निकल लें, बस! फिर देखिये फ्री की पब्लिसिटी कैसे मिलती है। हमारे युगपुरुष जी ने इतने यु-टर्न मारे कि लोग यु-टर्न से साइन-बोर्ड को हमारी आआपा यानि आम आदमी पार्टी का चुनाव चिन्ह घोषित करने की मांग कर डाली। अब वैसे ही यह साइन बोर्ड जहाँ तहँ रोड पर दिख जाता है - हो गई ने फिर से फ्री की पब्लिसिटी! देखा! है ना हमारे युगपुरुष जी का मस्तिष्क सुपर-सोनिक!
युगपुरुष जी के अवतरण दिवस… अरे बंधू, जन्म-दिवस तो ख़ास लोगों का मनाया जाता है…हमारे युगपुरुष जी तो विलक्षण प्रतिभा के धनि 'आम आदमी' हैं!… हाँ तो हम क्या कह रहे थे? हाँ, युगपुरुष जी के अवतरण दिवस के अवसर पर आम आदमी पार्टी के बाहर हम आपियों ने एक आम रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें दिल खोल कर हर एक आपिये ने युगपुरुष जी की प्रेरणा से अपने रायता फैलाने की कला का प्रदर्शन किया। जगह जगह, रस्ते पर आते-जाते लोगों को रोक कर रायता फैलाया गया। 'रायता-फैलाऊ' प्रतियोगिता की 'घोसड़ा' करते हमारे प्रिय, आदरणीय एवं अनुकरणीय श्री श्री केजरीवाल जी की ये छायाचित्र अर्थात फोटो देखिये ( कितने डायनामिक लग रहे हैं नहीं? सच! किसी की नजर ना लग जाए, हाय अल्ला!)
इस 'घोसड़ा' के होते ही सारे आपिये पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ अपने कार्य में संलग्न हो गए। मानों उनके जीवन का केवल एक ही मकसद हो - रायता फैलाना! इस कार्य के बीच में ही हमारे युगपुरुष जी ने अपने द्वारा रचित गूढ़ रहस्यों से भरपूर किताब का विमोचन अपने शुभ करकमलों से किया। शीर्षक - 'रायता फैलाने के १००१ तरीके'
युगपुरुष जी ने अपने आम आदमियत से परिपूर्ण कर कमलों से पुस्तक का विमोचन किया ही था कि पुलिसिये आ धमके। क्या है ना कि पुलिसिये ठुल्लों से हमारे युगपुरुष जी की पुरानी गहरी यारी है। तो वो अपने प्रिय मित्र के हैप्पी वाले बर्थडे को कैसे भूल जाते भला? और वैसे, युगपुरुष जी को बर्थडे बम्प्स भी तो देने थे! जम कर पुलिसियों ने हमारे युगपुरुष के स्थानविशेष पर अपने लात घुमा-घुमा कर जो मारे हैं!
अंत में पूरा कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हर आपिये ने 'थ्री इडियट' स्टाइल में युगपुरुष जी को 'तोहफा' भी दिया। अब आप ये सब पढ़ कर केवल दांत निपोरोगे या हमारे युगपुरुष जी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर 'तोहफा' भी दोगे?
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