मात्र ४९ दिनों कि सरकार चला कर युगपुरुष श्री केजरीवाल तो कट लिए, पर अब उनकी चमत्कारिक वाणी गूँज रही है कानों में। जिस तरह से वो कैमरे के सामने माइक पर एक ही बात को एक्टिव और पैसिव वौइस् दोनों में कहते थे - "कौन है आम आदमी? आम आदमी कौन है?" - आहाहा! कान धन्य हो जाते थे… मनो कोई ब्रह्मज्ञान का 'खुलासा' कर दिया हो! वैसे केजरीवाल जी ने तो अनेक तरह से 'आम आदमी' कि
विशेषताएं बताई थी , परन्तु आज हम अपने अनुभव द्वारा जो आम आदमी के लक्षण पता किये हैं, उनका 'खुलासा' करने जा रहे हैं। ध्यान से पढ़िएगा।
आम आदमी वो है -
विशेषताएं बताई थी , परन्तु आज हम अपने अनुभव द्वारा जो आम आदमी के लक्षण पता किये हैं, उनका 'खुलासा' करने जा रहे हैं। ध्यान से पढ़िएगा।
आम आदमी वो है -
- जो पान खा कर रस्ते पर थूक दे। भाई खास आदमी तो चुइंगम खाते हैं !
- जो लघुशंका लगने पर रस्ते के किनारे ही शुरू हो जाते हैं , खास आदमी तो टॉयलेट जाते हैं।
- जो ट्रैफिक लाइट पर लाल बत्ती होने पर भी अपनी स्कूटर भगा लेते हैं, रोजी रोटी के लिए भाग-दौड़ कि जल्दी जो होती है जी! खास आदमी के पास तो फुरसत होती है जी, उनको काहे कि जल्दी?
- जो कुछ खा-पी कर उसका कचरा रस्ते पर ही फेंक देते हैं। अब जब सरकार ने कचरे का डिब्बा ही नहीं रखा तो बेचारा आम आदमी क्या करे?
पर फिर हमारे लोकपाल बिल का क्या?
अजी जिस आम आदमी को हमारे जन लोकपाल से कोई लेना देना नहीं , हमें उस आम आदमी से कोई लेना देना नहीं। आज से ये सारे लोग 'खास आदमी' कहलायेंगे। और क्यूंकि दिल्ली इन्हीं ख़ास लोगों से भरी पड़ी है , हमारे युगपुरुष श्री केजरीवाल जी ने इस्तीफा दे दिया है !
कहीं देखा है ऐसा त्याग?
अब तो केजरीवाल जी भारत के प्रधान मंत्री बन कर ही रहेंगे!
जय झाड़ू ! जय चंदा। चंदे-मातरम।
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