प्राचीनकाल से ही 'आइटम गर्ल' का राजनीति में विशेष स्थान रहा है। जब भी देवराज इंद्र को कोई घोर तपस्वी तपस्यारत दिखते थे, उनको ये चिंता सताने लगती थी कि कहीं वो तपस्वी उनके सिंहासन पर कब्ज़ा न कर बैठे। फिर वो उस तपस्वी की तपस्या भंग करने अपनी अप्सराओं, अर्थात उनके दरबार कि 'आइटम गर्ल' को भेजते थे।
वैसे 'आइटम गर्ल' शब्द का प्रयोग हिंदी मसला फिल्मों से शुरू हुआ। इसके पहले इन्हें कभी अप्सरा तो कभी विषकन्या और न जाने किन किन नामों से जाना जाता था। वैसे हिंदी फिल्मों, अर्थात बॉलीवुड में इन आइटम गर्ल का क्या स्थान होता है? आईये इसपर कुछ प्रकाश डालें -
आइटम गर्ल कि वेशभूषा अधिकतर चिंदी-रुमाल को जोड़ कर बनाई जेन वाली पोशाख होती हैं। इस योशाख से अपने अर्धनग्न शरीर को ढंके हुए अक्सर वह किसी फूहड़ से गाने पर खलनायक के 'अड्डे' पर ठुमके लगाती नज़र आती है। खलनायक उसका प्रयोग नायक का ध्यान बंटाने अथवा उसे गुमराह करने के लिए करता है; और जब वह किसी काम कि नहीं रहती तो उसे 'ठिकाने' लगा दिया जाता है। इस आइटम गर्ल कि मादकता 'ठरकी' किस्म के दर्शकों को बांधे रखती है।
इस प्रकार, आइटम गर्ल का हिंदी मसला फिल्मों में नायक तथा दर्शकों का 'बैंड बजाने' के लिए किया जाता है।
पाठकों को यह बताने कि आवश्यकता तो नहीं है कि भारतीय राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में कौन नायक है, कौन खलनायक और कौन विषकन्या … अररर मेरा मतलब है 'आइटम गर्ल'!
पाठकों को यह बताने कि आवश्यकता तो नहीं है कि भारतीय राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में कौन नायक है, कौन खलनायक और कौन विषकन्या … अररर मेरा मतलब है 'आइटम गर्ल'!
वैसे अभी अभी सुना है कि लेखक श्री चेतन भगत जी ने आ. आ. पा./ आप कि तुलना बॉलीवुड कि आइटम गर्ल्स से कि है? अरे महोदय, कुछ तो लिहाज कीजिये!
अब देख लीजियेगा, कहीं राखी सावंत बुरा मानकर अपनी अन्य आइटम गर्ल्स के साथ धरने पर न बैठ जाये!
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